... और धूं-धूंकर जला रावण, नाथनगर के कर्णगढ़ मैदान में खूब हुई आतिशबाजी Bhagalpur News
दुर्गा पूजा के दौरान रावण वध का भी आयोजन किया जाता है। भागलपुर के कर्णगढ़ मैदान में रामलीला आयोजित की गई। रामलीला में राम और रावण का युद्ध हुआ। इसके बाद रावण दहन।
भागलपुर [जेएनएन]। नाथनगर के कर्णगढ़ मैदान में विजयादशमी की शाम साढे सात बजे धू-धू कर रावण का पुतला जला। 35 फीट ऊंचे के बने रावण के पुतले को मेयर सीमा साह और पूर्व डिप्टी मेयर प्रीति शेखर ने आग लगाई। साथ 22 फीट ऊंचे मेघनाथ और 25 फीट ऊंचे कुंभकरण के पुतले का भी दहन किया गया।
मैदान में रामलीला के कलाकारों ने राम और रावण के बीच युद्ध का आकर्षक मंचन किया। रावण का वध करने के बाद जयश्री राम के नारे से कर्णगढ़ मैदान गूंज उठा। इस दौरान गोलदारपट्टी रामलीला समिति ने आतिशबाजी का भी आयोजन किया। इस भव्य नजारे को देखने के लिए भाड़ी संख्या में शहर के अलावा नवगछिया, अकबरनगर, सुल्तानगंज, सबौर सहित नाथनगर के विभिन्न क्षेत्रों से लोग पहुंचे थे। रावण दहन के बाद यहां लगे मेले का भी श्रद्धालुओं ने जमकर आनंद लिया। इस दौरान जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। जगह-जगह टुकडिय़ों में बंटी रैफ और बिहार पुलिस के पुरुष व महिला सिपाहियों को भी सक्रिय देखा गया।
मेयर सीमा साहा ने कहा कि यह त्योहार अधर्म पर धर्म के विजय का प्रतीक है। असत्य पर सत्य की विजय हुई है। ऐसे धार्मिक आयोजन को उल्लास के साथ और शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाने की जरूरत है। वरीय पुलिस अधीक्षक आशीष भारती ने भी लोगों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर सीटी एसपी सुशांत कुमार और डीएसपी राजवंश सिंह भी मौजूद थे।
इससे पूर्व समारोह का शुभारंभ एसएसपी सहित जिले के सभी आलाधिकारी, मेयर, पूर्व डिप्टी मेयर ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की शुरुआत की। रामलीला कमेटी के लोगों ने भी इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए बीते 13 दिनों से तैयारियों में लगे थे। कमेटी के दिलीप भगत,अमरनाथ भगत, ओम भगत, पूजा समिति के पप्पू यादव, भवेश यादव, अशोक राय, देवाशीष बनर्जी, अशोक राय आदि उपस्थित थे। इधर साहेबगंज स्थित भैरवा तालाब परिसर में रावण दहन किया गया।
मेले में लजीज व्यंजन का आनंद
कर्ण मैदान में 125 वर्षो से अधिक समय से रावण दहन और रामलीला का आयोजन किया जाता है। इस मेले में साउथ इंडियन खानपान से इतर ग्रामीण स्वरूप के मेले की परंपरा अब भी बरकरार है। मेले में परिसर में झाल मुड़ी, जलेबी, गन्ने का रस, गोल-गप्पा, गुड़ झिलिया और शाही कचौड़ी आदि लोगों ने भरपूर आनंद लिया।