सिद्धपीठ के नाम से विख्यात बिहार के इस मंदिर को जानते हैं आप, यहां जमीन से निकली थी मां दुर्गा की प्रतिमा
खगड़िया के सन्हौली स्थित मां दुर्गा मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। शारदीय नवरात्र में यहां दूर-दूर से काफी संख्या में श्रद्धालु भक्त यहां आते हैं। साधक भी यहां आकर साधना करते हैं। मां दुर्गा की महिमा अपरंपार है। इसे सिद्धपीठ भी कहा जाता है।
खगड़िया [चंदन चौहान]। सन्हौली स्थित मां दुर्गा मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। यहां हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। शारदीय नवरात्र में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। साधक भी पहुंचते हैं। मां की महिमा अपरंपार है। यह सिद्धपीठ है। ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी हुई हर मुरादें पूरी हो जाती है। आज तक कोई भक्त यहां से खाली हाथ वापस नहीं गया है। इसलिए संपूर्ण कोसी क्षेत्र से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना पूरी होने की आस में आते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त माता के दरबार में चढ़ावा चढ़ाते हैं। यहां दुर्गा के रौद्र रूप की पूजा की जाती है।
इतिहास के आईने में...
सन्हौली दुर्गा मंदिर से गहरे जुड़े साहित्यकार नंदेश निर्मल कहते हैं- आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व सन्हौली ठाकुरबाड़ी से कुछ ही दूरी पर कमला नदी (मोइन नदी) के पास काली ठाकुर खेत में हल चला रहे थे। इस दौरान हल की ठोकर से मां भगवती बाहर निकल आई। जिसकी सूचना उस समय के सन्हौली ग्राम निवासी जमींदार महेंद्र नारायण सिंंह को दी गई। महेंद्र नारायण सिंह ने प्रतिमा को काली ठाकुर के कुएं पर स्थापित करने को कहा। काली ठाकुर प्रतिमा कुएं के जगत पर रखकर पूजा करने लगे। इस दौरान एक सनकी ने प्रतिमा उठाकर कुएं के अंदर रात्रि में फेंक दिया। उस रात काली ठाकुर के सपने में मां भगवती ने आकर कहा कि मैं कुएं के अंदर हूं। यहां से निकाल कर सन्हौली गांव के अंतिम छोड़ पर दक्षिण दिशा में स्थापित करो। जहां से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर हमारी नजर पर सके। काली ठाकुर ने महेंद्र नारायण सिंंह के यहां पहुंचकर इसकी सूचना दी। जिसके बाद कुएं से मां की प्रतिमा निकाली गई। महेंद्र नारायण सिंंह ने खर- फूस का मंदिर बनवाकर खगड़िया स्टेशन के ठीक उत्तर दिशा में प्रतिमा को पूरे विधि-विधान से स्थापित किया। बाद में खपरैल का मंदिर बना। अब तो भव्य मंदिर है।
श्री दुर्गा स्थान सन्हौली ट्रस्ट कमेटी अब कर रही मंदिर का संचालन
मंदिर की देखभाल महेंद्र नारायण सिंह के बाद हरि सिंह और वैद्यनाथ सिंह ने किया। उसके बाद तत्कालीन सदर विधायक और सन्हौली निवासी केदार नारायण सिंह ने मंदिर को व्यवस्थित करने का काम किया। वर्तमान में यह मंदिर श्री दुर्गा स्थान सन्हौली ट्रस्ट कमेटी के अंदर है। जिसके पांच प्रमुख सदस्य नंदकिशोर प्रसाद सिंह, विजय कुमार रजक, दिलीप मिश्र, चंद्रशेखर सिंह, राकेश मोहन हैं।
नवरात्र के नौ दिन महा आरती में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
सन्हौली दुर्गा स्थान सिद्धपीठ होने के कारण विख्यात है। यहां नवरात्र में प्रतिदिन संध्या आरती के समय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। अष्टमी के दिन माता का पट खुलते ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है।