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Durga Puja 2020 : आज घोड़ा पर आएगी मां दुर्गा, भैंसा पर होगी विदाई

Durga Puja 2020 आज से दुर्गा पूजा शुरू हो गया। मां दुर्गा इस बार घोड़ा से आएंगी। इस कारण सुखद फलदायक नहीं होगा माता का आगमन और प्रस्‍थान। राजनीतिक उथल पुथल की स्थिति बनी रहेगी। युद्ध की भी संभावना रहेगी। मां इस बार भैंसा से विदा होंगी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 01:19 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 01:19 PM (IST)
माता के आगमन और प्रस्थान को लेकर क्‍या बन रहे योग, जानिए।

भागलपुर, जेएनएन। Durga Puja 2020 : शक्ति की देवी मांग दुर्गा की उपासना शनिवार से प्रारंभ होगी। शनिवार को कलशस्थापन के साथ नवरात्र की शुरूआत होगी। नौ दिनों तक श्रद्धालु शक्ति स्वरूपा की आराधना करेंगे। इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़ा पर हो रहा है। जबकि मां दुर्गा की विदाई भैंसा पर होगी। दोनों ही स्थिति सुखद व फलदायक नहीं है। माता के आगमन और प्रस्थान को लेकर बन रहे योग को लेकर पंडित राजेश मिश्र ने बताया कि माता का आगमन अश्व (घोड़ा) पर हो रहा है। माता का आगमन सुखद संदेश वाला नहीं है। अश्व पर आगमन के कारण छत्र भंग, पड़ोसी राष्ट्रों से युद्ध के आसार, सत्ता में उथल पुथल एवं देश में अराजकता की स्थिति का संकेत दे रही है। जबकि आंतरिक उथल पुथल के साथ ही जल प्रलय, वज्रपात, भूकंप जैसी आपदा की संभावना भी बन रही है। वहीं मां की विदाई भैंसा पर हो रहा है। शास्त्रों में भैंसा को असुर की संज्ञा दी गई है। मां की विदाई भी शुभ फलदायक नहीं संयोग का प्रतीक नहीं है। इसके प्रभाव से शास्त्रों के अनुसार देश में रोग और शोक की स्थिति के साथ घटना, दुर्घटना, अपराध, संयंत्र, विभिषिका व पीड़ा की संभावना बनेगी। आर्थिक विपन्नता के साथ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, आपराधिक मामलों के वृद्धि के संकेत बन रहे हैं।

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हालांकि मां दुर्गा सभी कष्टों का निवारण और संतान के सभी दुखों को हरने वाली होती है। सच्चे मन से मां की आराधना करने से लोग हर संकट से मुक्त होते हैं। सच्चे मन से मां शक्ति की आराधना देश को संकट से उबारने में कारगर साबित होगी। हालांकि कोरोना संक्रमण को लेकर लोग सावधानी बरतकर सच्चे मन से मां की आराधना कर सकते हैं। सच्चे मन से आराधना से मां अपने भक्तों को हर कष्ट से उबारेगी।

आराधना से मिलती है शक्ति व समृद्धि

पंडित राजेश मिश्र बताते हैं कि मां की सच्चे मन से आराधना करने वालों में शक्ति व समृद्धि का विकास होता है। नवरात्रा सामान्य लोगों के साथ साधकों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। मां की आराधना नवरात्री के समय शक्ति संचयन व संवर्धन के लिए की जाती है। साधक नौ दिनों में मां के अलग अलग रूप की आराधना करते हैं। नवरात्र की शुरूआत शनिवार को कलश स्थापन के साथ होगी। इस बार प्रतिपदा रात्रि तक होने के कारण लोग बिना समय सीमा के बंधन के कलश स्थापन कर सकते हैं। 23 अक्टूबर को निशा पूजा एवं 24 अक्टूबर को महाअष्टमी का व्रत व 25 अक्टूबर को महानवमी एवं 26 अक्टूबर को दसमीं तिथि है। इस बार पूजा पूरे दिन की होगी। सच्चे मन से मां की आराधना करने वालों की हर मुराद पूरी होती है। नवरात्रा के दौरान मां की आराधना के साथ दुर्गा पाठ करना श्रेयकर होता है। लोग अपनी श्रद्धा व सच्चे मन से किसी भी रूप में मां की आराधना कर सकते हैं।


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