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भागलपुर: सरकारी अस्‍पतालों में वर्षों से ड्रेसर के पद खाली, एएमएम से लिया जा रहा काम

सरकारी अस्‍पतालोंं में ड्रेसर के पद वर्षों से खाली है। ड्रेसर का काम एएनएम से लिया जा रहा है। कई बार एएनएम के नहीं रहने से मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। ये हाल कमोबेश भागलपुर के सारे सरकारी अस्‍पतालों...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 10:30 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 10:30 AM (IST)
भागलपुर: सरकारी अस्‍पतालों में वर्षों से ड्रेसर के पद खाली, एएमएम से लिया जा रहा काम
सरकारी अस्‍पतालोंं में ड्रेसर के पद वर्षों से खाली है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक समेत अन्य कर्मचारियों की कमी वर्षों से बनी हुई है। स्थिति यह है कि स्वास्थ्य केंद्रों में ड्रेसर का कार्य एएनएम कर रही हैं। एएनएम की भी कमी बनी हुई है। कोरोना की दूसरी लहर में चिकित्सकों की कमी भी खली। हालांकि सरकार ने आनन-फानन में सिविल सर्जन की निगरानी में उनके कार्यालय में ही साक्षात्कार लेकर नियुक्ति भी की, लेकिन कई चिकित्सक योगदान देने के बाद भी नहीं आए। ड्रेसर के पद खाली हैं वहीं हाल में ही लैब टेक्नीशियन और फार्मासिस्ट की नियुक्ति की गई।

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सदर अस्पतल सहित जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में पांच के लेकर 15 तक चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। जिले में नियमित करीब 250 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं इनमें लगभग दो सौ चिकित्सक कार्यरत हैं। सदर अस्पताल में 25 चिकित्सकों के पद हैं, कार्यरत 12 हैं। कहलगांव अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्सकों के 30 पद स्वीकृत हैं, कार्यरत 14 हैं। सुलतानगंज रेफरल अस्पताल में भी चार चिकित्सक के पद स्वीकृत हैं लेकिन मात्र दो कार्यरत हैं। अन्य अस्पतालों में भी यही स्थिति है।

जिले में 871 पद एएनएम के स्वीकृत हैं लेकिन 652 कार्यरत हैं। ड्रेसर किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में नहीं हैं। ड्रेसिंग एएनएम द्वारा ही की जाती है। सदर अस्पताल में संविदा पर ड्रेसर कार्यरत है। वहीं जिले में 35 वार्ड व्वाय के स्थान पर 10 कार्यरत हैं, सभी संविदा पर हैं। नियमित वार्ड व्वाय के पद रिक्त हैं। सभी अस्पताल में फर्मासिस्ट रहना आवश्यक है। सदर अस्पताल, कहलगांव में ही फार्मासिस्ट कार्यरत हैं।

इसके अलावा जिले के पीएचसी व अन्‍य अस्‍पतालों में स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के अन्‍य पदों पर भी बहाली होनी है। स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के नहीं रहने से मरीजों को संसाधन रहते अस्‍पताल के रेफर करना पड़ता है। उन्‍हें इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है। इससे सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण इलाके के लोगों को होती है।  


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