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कोसी-सीमांचल के लिए सपनों का बजट, अब घोषणाओं पर अमल की जरूरत

बजट में कोसी और सीमांचल के लोगों का सरकार ने ध्यान रखा है। पहले केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र को रेल बजट में 900 करोड़ से ज्यादा की राशि दी और अब राज्य सरकार ने भी बजट में इस क्षेत्र पर ध्यान दिया है। अब देखना है अमल कितना होगा।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2016 07:50 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2016 11:21 PM (IST)
कोसी-सीमांचल के लिए सपनों का बजट, अब घोषणाओं पर अमल की जरूरत

भागलपुर [किशोर झा]। प्रदेश के बजट में कोसी और सीमांचल के लोगों को भरपूर सपने दिखाए गए हैं। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार से रेल बजट में 900 करोड़ से ज्यादा की राशि पाने वाले इस क्षेत्र का राज्य सरकार ने भी भरपूर ध्यान रखा है। हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि बजट की घोषणाएं किस हद तक जमीन पर उतर सकेंगी।

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दोनों बजट में एक निराशाजनक बात यह है कि मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे इस क्षेत्र के लिए जमीनी स्तर पर ठोस सुधार करने के प्रयास का अभाव नजर आ रहा है।

राज्य सरकार ने किशनगंज में कृषि विश्वविद्यालय की घोषणा के साथ ही इस इलाके में रोजगार की बड़ी संभावना वाले मछली पालन, पशुपालन एवं कृषि पर भी जोर देने का ऐलान किया है। बिरौल के पास कमला बलान पर पुल के लिए मोटी रकम देने की घोषणा की गई है। इसके साथ ही रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश जाने वाले गरीब परिवार के लोगों को रेलवे के स्लीपर क्लास में यात्रा करने पर आर्थिक मदद की घोषणा कर बड़े वोट बैंक को खुश करने का प्रयास किया है।

निश्चय ही राज्य सरकार की इस घोषणा से उसके वोट बैंक को बड़ी राहत मिलेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार का कोई ठोस साधन न होने के कारण अधिकतर लोगों को अपना व परिवार का पेट भरने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है। ऐसे लोगों व परिवारों को स्लीपर क्लास से यात्रा करने में मदद से खुश होना तय है।

कृषि, मछली पालन एवं पशुपालन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के बड़े अवसर निकल सकते हैं, लेकिन सरकारी विभागों में व्याप्त उदासीनता और भाई-भतीजावाद के कारण अब तक की योजनाओं की जैसी दुर्दशा हो चुकी है, उसमें किसी नई योजना से कोई खास आस नहीं जगती है।

कुल मिलाकर यही लगता है कि सरकार ने भी मान लिया है कि यहां के लोगों के रोजगार का सबसे अच्छा माध्यम दूसरा प्रदेश ही है। इससे पूर्व भी सत्तारूढ़ गठबंधन के दोनों मुखिया ने रेल मंत्री रहते हुए जनसेवा व जनसाधारण एक्सप्रेस जैसी ट्रेन सेवा शुरू कर मजदूरी के लिए दूसरे प्रदेश जाने वाले अपने वोट बैंक को खुश करने का ऐसा ही कार्ड चला था।

रही बात किशनगंज में कृषि विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की। निर्विवाद रूप से इसकी जितनी सराहना की जाए कम होगी। तकनीकी शिक्षा वाले विश्वविद्यालय की स्थापना हर हाल में बड़ी बात होती है। निजी मेडिकल कॉलेज व निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के बाद किशनगंज जैसे सीमांत जिले में वहां के माहौल को देखते हुए इस विश्वविद्यालय की प्रदेश के विद्यार्थियों की उपयोगिता पर भले सवाल खड़े हों, लेकिन इससे राजनीतिक निहितार्थ की अवश्य पूर्ति होगी। मुस्लिम बहुल यह क्षेत्र सत्तारूढ़ गठबंधन का मजबूत किला रहा है।

इन सारे तथ्यों के बावजूद इसे कोसी व सीमांचल के लिए सपनों वाला बजट कहा जाना चाहिए। खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सात निश्चय अपने-आप में विकास के लिए पूर्ण है। अब जरूरत सिर्फ इस बात की है कि जो घोषणाएं की गई हैं, उन पर सख्ती से अमल भी हो।


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