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Padma Award 2020: डॉ. रामजी सिंह को समाजसेवा के लिए पद्मश्री, बिहार का बढ़ा गौरव

Padma Award 2020 महात्मा गांधी के विचारों को देश के कोने-कोने और विदेशों में फैलाने वाले डॉ. रामजी सिंह को पद्मश्री पुरस्कार मिलने से अंग क्षेत्र का गौरव बढ़ गया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 08:45 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 03:15 PM (IST)
Padma Award 2020: डॉ. रामजी सिंह को समाजसेवा के लिए पद्मश्री, बिहार का बढ़ा गौरव
Padma Award 2020: डॉ. रामजी सिंह को समाजसेवा के लिए पद्मश्री, बिहार का बढ़ा गौरव

भागलपुर, जेएनएन। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को देश-विदेश में फैलाने वाले डॉ. रामजी सिंह को समाजसेवा के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजने का फैसला लिया है। अंगक्षेत्र के रहने वाले 94 वर्षीय रामजी बाबू ने अंगिका के लिए भी लंबी लड़ाई लड़ी। लोगों की आवाज को बुलंदी देने के जुनून के कारण इन्हें भागलपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद बनने का भी सौभाग्य मिला।

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बापू के विचार को देश-विदेश में फैलाने वाले रामजी बाबू को बड़ा सम्मान

महात्मा गांधी के विचारों को देश के कोने-कोने और विदेशों में फैलाने वाले डॉ. रामजी सिंह को पद्मश्री पुरस्कार मिलने से अंग क्षेत्र का गौरव बढ़ गया है। अंग क्षेत्र के 94 वर्षीय इस सपूत को लोग सम्मान में रामजी बाबू ही बोला करते हैं। इन्हें तब और गौरव की अनुभूति होती है जब कोई इनसे अंगिका में बात करता है। पैदल, लाठी के सहारे तो कभी रिक्शे से ही भागलपुर में घूमने वाले रामजी बाबू सादगी के प्रतिमूर्ति माने जाते हैं। धोती-कुर्ता, लाठी और कंधे पर खादी वाला झोला इनकी खास पहचान बन गई है। आंखों की कम रोशनी में दिक्कत नहीं हो इसके लिए चश्मे में डोरी बांध गले में लटकाने लगे हैं। कोई न कोई सेवक इनके साथ अब सहयोग के लिए जबरदस्ती चलता है कि रामजी बाबू कहीं गिर ना जाएं। लेकिन उन सेवकों को भी यह पीछे छोड़ अकेले निकल पड़ते हैं। एक जिद, ऐसी जिद जो जिंदगी र्पयत अनवरत चलती रहेगी। जिद बापू के विचारों को जन-जन तक फैलाने की, उनके कदमों पर चलने को प्रेरित करने की। रामजी बाबू ऐसे संघर्ष में ही पल-बढ़ कर आगे बढ़ते चले गए।

अपने जिद पर देश में गांधी विचार की पढ़ाई शुरू कराई

संपूर्ण भारत में अपनी जिद से इन्होंने गांधी विचार की पढ़ाई शुरू करा दी। भागलपुर समेत अंग जनपद में बोली जाने वाली अंगिका भाषा के लिए वे संघर्ष करते रहे। समाजसेवा के क्षेत्र में संघर्ष के कारण एक दिन भागलपुर संसदीय क्षेत्र के लोगों ने उन्हें अपना सांसद ही चुन लिया। यह तब हुआ जब चुनाव में रुपये-पैसे का बोलबाला था। लेकिन जन संघर्ष की गगनभेदी आवाज में गरजने वाले रामजी बाबू को लोगों का स्नेह ही इतना मिला कि लोगों ने अन्य प्रत्याशियों को भूल इन्हें गले लगा लिया।

रामजी सिंह ने गांधी विचार विभाग को दान में दी दुर्लभ किताबें

देश के पहले गांधी विचार विभाग की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ. रामजी सिंह ने दान में कई दुर्लभ पुस्तकें दी हैं। विभाग के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. रामजी सिंह ने लगभग 5000 पुस्तकें जर्नल विभाग को दान में दी हैं। इनमें कई पुस्तकें ऐसी हैं, जो अब बाजार में शायद ही उपलब्ध है। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के समय गांधीजी ने कई काम किए। सभी कामों पर आधारित पुस्तक 'एमके गांधी' जोसफ जे डोक ने लिखी थी। इस पुस्तक ने गांधीजी को पश्चिमी देशों में पहचान दिलाई थी। पुस्तक का प्रकाशन 1909 में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी पुस्तक 'महात्मा गांधी' अब आउट ऑफ प्रिंट हो चुकी है। यह दोनों पुस्तक भी डॉ. रामजी सिंह ने दान में दिया है। गांधी विचार विभाग में उनके नाम पर डॉ. रामजी सिंह पीठ की स्थापना की गई है।

1977 में यूजीसी ने दी थी स्वीकृति

गांधी विचार विभाग का उद्घाटन दो अक्टूबर 1980 को भागलपुर विश्वविद्यालय में हुआ था। तब यह देश का इकलौता विभाग था, जहां गांधी विचार की पढ़ाई शुरू हुई थी। यहां छात्र-छात्राएं चटाई पर बैठ कर पढ़ाई करते थे, जो परंपरा आज भी बरकरार है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जब 1964 में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे, तभी उन्होंने गांधी विचारधारा पर यहां पाठ्यक्रम शुरू करने की सोच ली थी। गांधी के विचारों से प्रभावित दर्शनशास्त्र के शिक्षक और पूर्व सांसद डॉ. रामजी सिंह गांधी विचार विभाग की स्थापना के लिए एड़ी चोटी एक कर दिया था। उनके काफी प्रयास के बाद यूजीसी ने 1977 में विभाग खोलने की स्वीकृति दी। दो अक्टूबर 1980 को तत्कालीन कुलपति डॉ.एम क्यू तौहिद ने विभाग की स्थापना की। इस विभाग के कई छात्र दिल्ली स्थित राजघाट, गांधी संग्रहालय, वर्धा विश्वविद्यालय सहित देश भर में ऊंचे-ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं।


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