मधेपुरा के इस राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष को मिलेगा अंबेदकर नेशनल अवार्ड
मधेपुरा के डॉ. जवाहर पासवान को अंबेदकर नेशनल अवार्ड मिलेगा। वे टीपी कॉलेज में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष सह सीनेट व सिंडिकेट सदस्य हैं। उनका चयन डॉ. अंबेदकर राष्ट्रीय अवार्ड के लिए किया गया है। इस उपलब्धि पर लोगों ने उन्हें बधाई दी है।
जागरण संवाददाता, मधेपुरा। बीएन मंडल विवि अंतर्गत टीपी कॉलेज में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष सह सीनेट व सिंडिकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान का चयन डॉ. अंबेदकर राष्ट्रीय अवार्ड के लिए किया गया है। उन्हें 13 मार्च को भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा नई दिल्ली में पुरस्कृत किया जाएगा।
डॉ. जवाहर पासवान जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्य और राजकीय अम्बेडकर कल्याण छात्रावास के अधीक्षक भी हैं। साथ ही महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर विभिन्न कमेटी के सदस्य सहित अन्य पदों को भी सुशोभित कर रहे हैं।
जबकि शोषण के विरूद्ध इनकी सात पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। इसके अलावा भारत के दलित आंदोलन में बिहार की भूमिका, पिछड़ी जातियों का राजनीतिक अभिजन, भारतीय स्वशासन में पंचायती राज व्यवस्था, भारतीय राजनीति में नैतिक लोकतंत्र की तलाश, भूमंडलीकरण में भारतीय राजनीति का महत्व, डॉ. लोहिया का समज दर्शन : समकालीन राजनीतिक परिप्रेक्ष्य व अस्मिता संकट और दलित विमर्श नामक पुस्तक शामिल हैं। वहीं विभिन्न शोध पत्रिका में तकरीबन 60 आलेख, तकरीबन दो दर्जन सेमिनार, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है।
शोषित वर्ग के अधिकार के लिए किया आंदोलन
डॉ. पासवान ने शोषित वर्ग के अधिकार की समाप्ति के विरूद्ध केंद्र सरकार व राज्य सरकार के नीति के विरोध में आम जन के साथ आंदोलन में प्रमुख सहभागिता निभाई। वहीं एससीएसटी कानून बदलाव के विरूद्ध आन्दोलन का मधेपुरा में नेतृत्व किया। सीएए, एनआरसी के विरूद्ध मधेपुरा में नेतृत्व और ओबीसी आरक्षण में छेड़छाड़ के विरूद्ध आंदोलन की सहभागिता में प्रमुख भागीदारी रही है।
मैट्रिक पास करने पर मिला था जीवन का पहला पैंट-शर्ट
डॉ. जवाहर ने बताया कि उनका जन्म उनके गांव आदर्श ग्राम भागीपुर, भागीपुर, आलमनगर, जिला मधेपुरा (बिहार) में हुआ। वहीं से मध्य विद्यालय की शिक्षा प्राप्त करते हुए नंदकिशोर माधवानन्द उच्च विद्यालय, आलमनगर से मैट्रिक की परीक्षा पास की। तब तक इन्होंने महाविद्यालय को दूर से ही देखा था। कभी भी कैंपस में जाने का मौका नहीं मिला था। इनके पिता छोटे किसान थे। हमेशा कहा करते थे जब तुम मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास करोगे तो तुम्हे फूल पैंट-सर्ट देंगे और टीएनबी कॉलेज, भागलपुर में पढ़ाएंगे।