Move to Jagran APP

शिक्षक नियुक्ति : रंजय बन गया विपुल, जानिए... कैसे हुआ यह खेल, क्‍या है पूरी कहानी

जमुई में 10 वर्षों से विपुल के नाम पर शिक्षक है रंजय। असली विपुल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन बेंगलुरु में इंजीनियर के पद पर कार्यरत। खैरा प्रखंड अंतर्गत नवीन प्राथमिक विद्यालय डैनीखांड़ का मामला। मामले की जांच की जा रही है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 09:10 AM (IST)
शिक्षक नियुक्ति : रंजय बन गया विपुल, जानिए... कैसे हुआ यह खेल, क्‍या है पूरी कहानी
जमुई में फर्जी शिक्षक बनकर की नौकरी।

जमुई [अरविंद कुमार सिंह]। फर्जी शिक्षकों की तलाश शिक्षा विभाग और निगरानी द्वारा बरसों से की जा रही है। इसके बावजूद 10 वर्षों से खैरा का रंजय गेनाडीह का विपुल बना है। मजेदार पहलू तो यह है कि शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारी से लेकर नियोजन इकाई तक इस बात से अवगत है कि नवीन प्राथमिक विद्यालय डैनीखांड़ में कार्यरत विपुल असली नहीं है। फिर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। बहरहाल जागरण के सवाल पर स्थापना डीपीओ अश्विनी कुमार ने मामले की पड़ताल कर उचित कार्रवाई की बात कही है।

loksabha election banner

असली विपुल डीआरडीओ में कर रहा रिसर्च

असली विपुल डीआरडीओ अर्थात रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन बेंगलुरु में देश के लिए अनुसंधान कर रहा है। यहां उसके नाम पर फर्जीवाड़ा कर कोई और नौकरी कर रहा है। दरअसल पॉलिटेक्निक की पढ़ाई के दौरान विपुल ने कई जगह से शिक्षक पद के लिए भी आवेदन किया था। सोनो प्रखंड अंतर्गत चरकापत्थर से तो उसका नियुक्ति पत्र भी घर आया था जो आज भी अमानत पड़ा है। इधर खंड़ाइच पंचायत के तत्कालीन मुखिया और पंचायत सचिव ने विपुल की जगह नकली विपुल (रंजय) को नियोजित कर लिया। 2011 में नियोजन के बाद से अब तक रंजय नवीन प्राथमिक विद्यालय डैनीखांड़ में कार्यरत है।

फर्जीवाड़ा से अनभिज्ञ हैं विपुल के पिता

विपुल के पिता गेनाडीह निवासी रामप्रवेश रावत को विपुल के नाम पर किसी और के नौकरी की जानकारी नहीं है। वह कहते हैं कि शिक्षक नियोजन भर्ती के दौरान विपुल ने कई जगह आवेदन किया था। चरकापत्थर से तो उसका नियोजन पत्र भी आया था लेकिन वह पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर रहा था। लिहाजा शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में उसने कोई रुचि नहीं दिखाई।

निगरानी के जिम्मे है नियोजन का फाइल

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, विद्यालय प्रभारी एवं मुखिया भी इस मामले में सवालों के कटघरे में हैं। यह दीगर बात है कि फर्जी शिक्षक के कार्यरत रहने के प्रकरण में मुखिया पुष्पा कुमारी खुद को पाक साफ बताती है। वो कहती हैं कि यह मामला उनके कार्यकाल से पूर्व का है। उनके मुखिया बनने के उपरांत निगरानी द्वारा फाइल तलब किया गया था। इसके बाद शिक्षा विभाग के माध्यम से उक्त फाइल निगरानी को उपलब्ध करा दिया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.