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वर्षा जल संचय में फर्जीवाड़ा, जिलाधिकारी ने गठित की तीन सदस्यीय जांच टीम

85 उत्‍क्रमित माध्‍यमिक स्‍कूलों में वर्षा जल संचय योजना का काम होना था लेकिन शिक्षा विभाग के डीपीओ एवं अभियंता ने कार्य पूर्ण का रिपोर्ट जमा कर उक्‍त योजना की राशि निकाल ली। एक परिवाद के अलोक में आरडीडीई ने डीएम को पत्र लिख कर जांच रिपोर्ट की मांग की

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 07:40 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 07:40 AM (IST)
वर्षा जल संचय में फर्जीवाड़ा, जिलाधिकारी ने गठित की तीन सदस्यीय जांच टीम
परियोजना निदेशक के आदेश पर डीएम ने 3 सदस्यीय जांच टीम किया गठित

जागरण संवाददाता, सुपौल । जिले के 85 उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में वर्षा जल संचय कार्य किए बिना, कार्य योजना को शिक्षा विभाग के डीपीओ और अभियंताओं द्वारा कार्य पूर्ण का रिपोर्ट भेजने के मामले में परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा के आदेश पर डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दिया है। भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान के अनिल कुमार सिंह के परिवाद पर बिहार शिक्षा के परियोजना निदेशक ने सुपौल डीएम को पत्र लिखकर जांच कर जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया है। 15 दिनों के भीतर मंतव्य सहित प्रतिवेदन देने का भी निर्देश दिया है। डीएम महेंन्द्र कुमार ने प्रभारी पदाधिकारी जिला विकास शाखा, डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान एवं भवन निर्माण विभाग के कनीय अभियंता की संयुक्त जांच टीम गठित की है। वहीं परिवादी अनिल कुमार सिंह ने जिला पदाधिकारी के द्वारा गठित जांच टीम में आरोपी पदाधिकारी डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान के बनाने पर आपत्ति दर्ज की है और डीपीओ सर्व शिक्षा जांच टीम से हटाने का अनुरोध डीएम से किया है।

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क्या है मामला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना जल-जीवन-हरियाली के तहत जिले के 100 माध्यमिक विद्यालयों को रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए 73600 की दर से प्रति विद्यालय राशि निर्गत की गई। इस योजना के पीछे सरकार की मंशा थी कि स्कूलों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगा कर वर्षा जल का संचय की सीख छात्र छात्राओं की दी जाए ताकि वे भी इस दिशा में जागरूक हो सके। इतना ही नहीं सरकार इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों में वर्षा जल संचय के लिए जागरूकता फैलाना चाहती थी। लेकिन सरकार की इस मंशा को शिक्षा विभाग के पदाधिकारी एवं अभियंताओं ने हवा निकाल दी और जनवरी 2020 में आई इस राशि की उपयोगिता कागजों पर दिखा कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी। जबकि जिले में 85 से अधिक विद्यालयों में रैन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम बना ही नहीं था।

क्या है भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान का आरोप

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार ङ्क्षसह जिलाधिकारी सहित शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी को पत्र लिखकर विस्तृत जानकारी से अवगत कराया। श्री ङ्क्षसह ने अपने परिवाद में कहा है कि जिले में 100 माध्यमिक विद्यालयों में जल संचय हेतु जिले से राशि उपलब्ध करा दी गई। जिले के अधिकांश विद्यालयों में कार्य प्रारंभ भी नही किया गया था लेकिन शिक्षा विभाग के पदाधिकारी और अभियंताओं ने 85 विद्यालयों में कार्य पुर्ण होने का प्रतिवेदन विभाग को समर्पित कर दिया। श्री ङ्क्षसह ने सुपौल प्रखंड के ही माध्यमिक विद्यालय मल्हनी, बसबिट्टी, कालीगंज ,बरैल सहित जिले के 85 विद्यालयों फर्जी प्रतिवेदन समर्पित करने का खुलासा किया था।

डीएम ने की जांच टीम गठित

जिला पदाधिकारी सुपौल ने एक आदेश जारी कर कहा है कि सुपौल जिले में उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में वर्षा जल संचय संरचना में कार्य प्रारंभ नहीं होने के बावजूद डीपीओ एसएसए एवं सहायक अभियंता विनोद कुमार सहित कनीय अभियंता पर कार्य को पूर्ण दिखाते हुए राशि का गबन एवं जांच का अनुरोध अनिल कुमार ङ्क्षसह भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान सुपौल द्वारा परिवाद समर्पित कर किया गया। राज्य़ परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा परियोजना पटना के पत्रांक 5438 दिनांक 5 अक्टूबर 2020 द्वारा भी परिवाद में उल्लेखित आरोपों के जांच करने का अनुरोध किया है। इस निर्देश के आलोक में प्रभारी पदाधिकारी जिला विकास शाखा, डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान एवं भवन निर्माण के कनीय अभियंता की एक संयुक्त जांच टीम गठित की जाती है। जांच टीम को 15 दिन के अंदर जांच मंतव्य सहित उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

जांच टीम पर सवाल

परिवादी ने जिला पदाधिकारी द्वारा गठित जांच टीम पर ही सवाल खङा कर दिया है. कहा है कि उन्होंने अपने परिवाद पत्र में डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी लेकिन गठित टीम में डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान को भी सदस्य बनाया गया है।


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