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खेत मे धान की सीधी बोआई करने से कम खर्च में होगी अधिक पैदावार, कटिहार में 76 हजार हेक्टेयर में होगी खेती

धान की सीधी बोआई से अधिक उत्पादन होता है। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। कटिहार में अभी 76 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है। धान की सीधी बोआई के लिए कृषि विभाग के विज्ञानी किसानों को इसकी महत्ता से भी अवगत करा रहे हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 04:58 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 04:58 PM (IST)
खेत मे धान की सीधी बोआई करने से कम खर्च में होगी अधिक पैदावार, कटिहार में 76 हजार हेक्टेयर में होगी खेती
धान की सीधी बोआई से अधिक उत्पादन होता है।

संवाद सहयोगी, कटिहार। यास तूफान के कारण हुई बारिश से खेतों में पर्याप्त नमी होने के कारण इसका लाभ धान की खेती में मिलेगा। किसान कम खर्च में खरीफ धान की अधिक पैदावार कर सकेंगे। नई तकनीक के माध्यम से धान की सीधी बोआई से किसान कम खर्च में बेहतर उत्पादन कर सकते है। कृषि विज्ञान केन्द्र के विज्ञानियों द्वारा खरीफ धान की की खेती को लेकर किसानों को नई तकनीक से सीधी बोआई के तरीकों की जानकारी दी जा रही है। कृषि विज्ञानी डॉ. आरएन ङ्क्षसह ने बताया की धान की सीधी बोआई करने के लिए खेत को समतल

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करने के बाद पलेवा कर खेत की हल्की जोताई करने के बाद सीडड्रिल से पंक्तियों में या व्यासि विधि से धान की सीधी बोआई करनी चाहिये। इस तरह की सीधी बोआई खेत में सूखी या नमीयुक्त भूमि में की जा सकती हैं। सूखी भूमि में धान की बोआई के बाद बीजों के जमाव के लिए हल्की ङ्क्षसचाई की आवश्यकता होती है। इस विधि से बोआई करने पर पानी एवं उर्वरक के उपयोग क्षमता में वृद्धि के साथ उत्पादन भी अच्छा प्राप्त किया जा सकता है। खरीफ में धान की नर्सरी लगाने के लिए किसानों को प्रजातियों का चयन कर नर्सरी लगानी चाहिये। कृषि विज्ञानी ने बताया कि लंबे एवं मध्यम अवधि के धान की नर्सरी लगाने का यह उपयुक्त समय है । उन्होंने बताया कि खरीफ की खेती को लेकर किसान धान की प्रजाति बीबी 11, सबौर श्री, सबौर संपन्न, सबौर अर्धजल, राजेंद्र स्वेता, स्वर्णा सबवन का चयन कर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं।

इन चयनित बीज को अपने प्रक्षेत्र के 10 वें भाग में 10किलो प्रति एकड़ की दर से एवं बीज उपचार के लिये मिश्रित फफूंदीनाशी (कार्बेंडाजिम मेंकोजेब) दो ग्राम एवं थायोमेथाक्जिम 75, डब्ल्यूएस की तीन ग्राम मात्रा की की दर से करना चाहिए। इससे उपचारित करने के आधा घंटे बाद एजोटोबैक्टर एवं पीएसबी की 200 ग्राम मात्रा को शक्कर के घोल में मिलाकर उपचारित करने के बाद ही नर्सरी में डालना चाहिये। उन्होंने बताया की जिले मे लगभग 76 हजार हेक्टेयर में खरीफ धान की खेती की जाती है। कृषि विभाग द्वारा धान की नई किस्म के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है। कोरोना काल में किसानों को जूम व मोबाईल एप के माध्यम से खेती के नई तकनीक को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


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