किसानों के लिए व़रदान बन रहा है डिजिटल प्लेटफार्म, मिल रही है नवीनतम तकनीक की जानकारी
किसान अब हाईटेक बन रहे हैं। उन्हें डिजिटल फ्रेंडली बनाया जा रहा है। ताकि वे डिजिटल प्लेटफार्म पर कृषि की नवीनतम जानकारी को प्राप्त कर सकें। अब उन्हें योजनाओं का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराना पड़ता है।
जागरण संवाददाता, मुंगेर । किसानों की आमदनी दोगुणी करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का सबसे अधिक जोड़ खेती किसानी को नई तकनीक से जोडऩे पर है। सीधे किसानों तक कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए किसानों को डिजिटल फ्रेंडली बनाया जा रहा है। कृषि विभाग के पोर्टल पर निबंधन कराने के बाद ही किसानों को अनुदानित दर पर उर्वरक, बीज आदि का लाभ दिया जा रहा है। किसान सम्मान निधि योजना का लाभ लेने के लिए भी किसानों का निबंधित होना जरूरी है। पैक्सों में धान बेचने के लिए भी पहले किसानों का आनलाइन निबंधन किया जाता है। यही कारण है कि अब किसान डिजिटल फ्रेंडली हो रहे हैं। किसान विभिन्न इंटरनेट साइट के माध्यम से आधुनिक खेती के गुर भी सीख रहे हैं।
कहते हैं कृषि विज्ञानी
डिजिटल फ्रेडंली होने के बाद किसान खेती की नवीनतम तकनीक घर बैठे सीख रहे हैं। किसान मोबाइल के माध्यम से ही अपनी समस्याओं का समाधान भी ढूंढ़ रहे हैं। मौसम से संबंधि जानकारी प्राप्त कर मौसम के अनुकूल खेती कर फायदा उठा रहें है। किसान बुआई, उर्वरक, ङ्क्षसचाई, वर्षापात की सूचना , कीटनाशक, खरपतवार रोगों का निदान कर पा रहें हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से भी अब आनलाइन प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर किसानों को नवीनतम तकनीक की जानकारी दी जा रही है।
डॉ. विनोद कुमार , कृषि विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र मुंगेर
बोले किसान
पहले किसानों को स्थान विशेष पर जाकर प्रशिक्षण लेना होता था। अब किसान घर पर ही यूटयूब एव वाट््सअप के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर रहें है। किसानों को समय पर अनुदानित दर पर और समय पर बीज नहीं मिल पा रहे हैं। उर्वरक के लिए दो-दो दिनों का इंतजार करना पड़ता है।
योगेंद्र चौधरी , किसान, मय पंचायत
डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से किसान खेती के नए-नए तरकीब सीख अपने खेतो में उसका प्रयोग कर रहें हैं। इस कारण कम समय में अधिक मुनाफा हो रहा है। हाइटेक होने के साथ ही खेती किसानी के लिए सबसे जरूरी है समय पर बीज और खाद मिलना। इसमें परेशानी आ रही है।
राजेंद्र , किसान मय
पहले किसानों को खेती से जुडे नए तकनीक सीखने के लिए दूसरे राज्य या जिला से बाहर जाना होता था। इससे किसानों का सामय बर्बाद होता था। पैसे भी खर्च होते थे। अब खेती से जुड़ी हर समस्या का हल मोबाइल पर उपलब्ध है।
गोपाल चौधरी, मय पंचायत
किसानों को डिजिटल फ्रेंडली बनाने की योजना काफी सराहनीय है। कृषि से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान घर बैठे हो जाता है। फिर भी किसान खुशहाल नहीं हैं, इसका मुख्य कारण है योजनाओं के क्रियान्वयन में बरती जा रही लापरवाही। बीज के लिए हमने कई बार आनलाइन आवेदन किया, लेकिन हमें बीज नहीं मिला।
अरूण कुमार , किसान