बर्खास्त दारोगा महेश्वर राय को बहाल कर चलेगी विभागीय कार्रवाई, क्या है पूरी कहानी
2015 में तत्कालीन डीआइजी संजय सिंह द्वारा बर्खास्त 2009 बैच के दारोगा महेश्वर राय को बहाल कर विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश गृह विभाग से जारी हुआ है। जानें, क्या है मामला
भागलपुर (जेएनएन)। 20 मार्च 2015 को तत्कालीन भागलपुर रेंज के डीआइजी संजय सिंह द्वारा बर्खास्त 2009 बैच के दारोगा महेश्वर राय को बहाल कर विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश गृह विभाग से जारी हुआ है। इस आदेश के बाद एसएसपी आशीष भारती ने रेंज डीआइजी विकास वैभव से मंतव्य मांगा था। उन्होंने इस मामले में गृह विभाग के आदेश के अनुरूप निर्देश देते हुए दारोगा को बहाल करते हुए विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्देश जारी किया है।
योगदान के बाद शुरू होगी विभागीय कार्रवाई
डीआइजी ने अपने निर्देश में कहा है कि विभागीय कार्रवाही पर पारित आदेश के निष्प्रभावी हो जाने के कारण दारोगा के संबंध में बर्खास्तगी के आदेश से पूर्व की स्थिति यथावत कायम हो जाती है। यदि वे निलंबित स्थिति में बर्खास्त किए गए थे तो उनका निलंबित स्थिति में योगदान स्वीकार किया जाना चाहिए तथा गृह विभाग के निर्देश से आरोप पत्र के गठन के पश्चात पुन: जांच करानी चाहिए। इसके अलावा डीआइजी के पत्र में कहा गया है कि बर्खास्तगी की तिथि से पुन: योगदान की तिथि के बीच के अवधि के संबंध में जांच पूर्ण होने पर निर्णय लिया जा सकता है।
हत्यारोपितों को अदालत ने सुनाई थी उम्र कैद की सजा
सबौर थाने के तत्कलीन थानेदार दारोगा महेश्वर राय पांच अक्टूबर 1985 को सबौर इलाके के मीराचक गांव निवासी मुखिया रामदास मंडल की हत्या के आरोपितों का गिरफ्तारी वारंट नौ माह तक दबाए रखने के आरोप में संदेह के घेरे में आए थे। सबौर थाना कांड संख्या 179-85 से जुड़े मुखिया रामदास मंडल हत्याकांड में 29 जनवरी 1988 को भागलपुर के चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अभियुक्त पंचा मंडल, हरमिंदर मंडल, प्रकाश मंडल, मांगन मंडल, धनंजय मंडल उर्फ धनराज मंडल, शारदा देवी और तलाशो उर्फ तारावती देवी को उम्र कैद सुनाई थी।
एसएसपी को सुप्रीम कोर्ट ने कर लिया था तलब
हाइकोर्ट, पटना ने भी निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट से इस हत्याकांड के अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए गैर जमानतीय वारंट जारी करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने रामदास हत्याकांड के अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं होने को लापरवाही मानते हुए तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार को तलब कर लिया था। इसके बाद तत्कालीन एसएसपी ने लापरवाही मानते हुए महेश्वर राय को 20 मार्च 2015 को तत्कालीन रेंज डीआइजी संजय सिंह को बर्खास्त करने की अनुशंसा कर दी थी।
नौ माह तक हत्यारोपित का गिरफ्तारी वारंट दबाकर रखने का लगा था आरोप
अभियुक्तों की गिरफ्तारी वारंट को दारोगा महेश्वर राय ने सबौर थानाध्यक्ष रहते हुए नौ माह तक दबाए रखा था। महेश्वर पर आरोप था कि उन्होंने वारंट मिलने के नौ माह बाद एसएसपी को गुमराह करने के लिए वारंट पर यह मंतव्य लिख कर वापस कर दिया कि रामदास मुखिया हत्याकांड अब उनके इलाके का मामला नहीं है। बल्कि वह जीरोमाइल थाने का मामला है। यह भी लिखा कि अभियुक्तों ने मीराचक इलाके की अपनी संपत्ति बेच दी है। अभियुक्त काफी समय पूर्व इलाका छोड़ दिया है। गौरतलब है कि जिस समय रामदास हत्याकांड हुआ था। उस समय मीराचक इलाका सबौर थाने के अंतर्गत पड़ता था।