पिता के पर्यावरण प्रेम को पुत्र का 'हरित तर्पण'
भागलपुर के एक युवक ने पिता के आज्ञा का पालन करते हुए एक मिसाल पेश किया है। पिता की आज्ञा थी एक भी वृक्ष को नहीं काटना। पुत्र ने पिता को पितृपक्ष में पौधा लगाकर श्रद्धांजलि दी।
भागलपुर [अभिषेक कुमार]। पितृपक्ष में लोग दान, तर्पण आदि करते हैं लेकिन दीपक ने अपने पिता की याद में पौधारोपण की परंपरा शुरू की है। अलीगंज के सूर्यलोक कॉलोनी निवासी दीपक झा अपने पिता के नाम पर पितृपक्ष के दौरान हर रोज अलग-अलग पौधे लगाते हैं। उनके पास अलग-अलग पौधों को लगाने के पीछे अलग-अगल तर्क भी हैं। पिछले 17 साल से वह यह काम कर रहे हैं।
अब तक उन्होंने नीम, पीपल, कदंब, चंपा, गुलमोहर व बरगद के 255 पौधे अपने घर के सामने और खाली पड़ी जमीन पर लगाए हैं। बकौल दीपक, उनके पिता अरविंद कुमार झा 1980 के दशक में भागलपुर में सॢकल इंस्पेक्टर (सीआइ) सह कानूनगो थे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने किसी को पेड़ काटने की इजाजत नहीं दी। साथ ही स्थानीय लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी दीवानगी इस कदर थी कि उन्होंने टीएनबी जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज से इंटर में उनका नाम कटवाकर महादेव सिंह कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग में लिखवा दिया। टीएनबी में दीपक गणित के छात्र थे। यहीं से पर्यावरण संरक्षण के प्रति दीपक का रुझान बढ़ा। बेटे का जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह, दीपक हर विशेष मौके पर पौधारोपण कर उसे खास बनाने की कोशिश करते हैं। इसकी प्रेरणा भी उन्हेंं पिताजी से ही मिली। पिताजी भी उनके जन्मदिन पर पौधे लगाया करते थे। दीपक बताते हैं कि उनके पिता का निधन 2002 में हो गया था। 2003 से वह हर साल पिता के नाम से पितृपक्ष के दौरान 15, जयंती पर एक और पुण्यतिथि पर एक पौधा लगाते हैं।
दीपक के लिए हर पौधे के अलग-अलग मायने
- नीम : घर के सामने इसे लगाने से कई तरह के फायदे हैं।
- पीपल : यह भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन देता है। इसका धार्मिक महत्व भी है।
- कदंब : धार्मिक महत्व के साथ कई तरह के औषधीय गुण भी इसमें पाए जाते हैं।
- चंपा : सुंदरता के साथ-साथ यह कई तरह के रोगों के लिए यह रामबाण है।
- गुलमोहर : इसके फूल पीलिया, मधुमेह आदि के उपचार में लाभकारी हैं।
- बरगद : इसका धार्मिक और पर्यावरण संबंधी महत्व है।