लंका की अशोक वाटिका का यहां कर सकेंगे दीदार सीता वन में लहलहा रहे 1100 सेरका अशोक के पौधे
माधोपुर पार्क में सीता अशोक वाटिका का निर्माण अहम है। खासकर पड़ोस में स्थित देवघर से रावण के जुड़ाव की पौराणिक कथा से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। फिलहाल यह पार्क जैन सर्किट से जुड
जमुई [अरविंद कुमार सिंह], अब तक लोग रामायण समेत अन्य सीरियलों में लंका की अशोक वाटिका का काल्पनिक स्वरुप देखते रहे हैं। अब उसी अशोक वाटिका का जीवंत स्वरूप महावीर वाटिका में देखने को मिलेगा, जहां हरण के बाद माता सीता को रखा गया था। यहां सीते की कुटिया का भी निर्माण कराया गया है। जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से माधोपुर पार्क में सीता अशोक वाटिका का निर्माण अहम है। खासकर पड़ोस में स्थित देवघर से रावण के जुड़ाव की पौराणिक कथा से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। फिलहाल यह पार्क जैन सर्किट से जुड़ चुका है।
हैदराबाद से मंगाए गए हैं पौधे
अशोका प्रजाति के इस पौधे को तीन वर्ष पूर्व हैदराबाद से तत्कालीन वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रभाकर झा द्वारा मंगवाया गया था। इसका ग्रोथ धीमा है लिहाजा अपने रंग में आने में चार पांच साल का वक्त और लगेगा। बताया जाता है कि इस पौधे में लाल और गुलाबी रंग के फूल भी खिलते हैं। सीता अशोक वाटिका तैयार करने की परिकल्पना के पीछे बिहार के मिथिला से ही सीता माता की उत्पत्ति महत्वपूर्ण है।
एक स्थान पर सर्वाधिक पौधे यहां
देश के किसी एक स्थल पर इतनी संख्या में अशोक के पौधे मौजूद नहीं है। खासकर लंका की अशोक वाटिका की प्रजाति के पौधे तो बिल्कुल नहीं। महावीर वाटिका के सीता वन में 1100 से अधिक की संख्या में सेरका अशोक के पौधे लहलहाने लगे हैं। लिहाजा धार्मिक ²ष्टिकोण से भी इस पार्क की महत्ता बढ़ जाती है।
वन प्रमंडल पदाधिकारी सत्यजीत कुमार ने कहा कि महावीर वाटिका परिसर में सीता वन तैयार किया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार हरण के बाद लंका के जिस अशोक वाटिका में सीता प्रवास हुआ था उसी प्रजाति के अशोक की वाटिका तैयार करने की कोशिश की गई है।
महावीर वाटिका से माधोपुर को मिली नई पहचान
माधोपुर पार्क के नामकरण को लेकर जारी विवाद के बीच वन प्रमंडल पदाधिकारी सत्यजीत कुमार ने कहा कि महावीर वाटिका से माधोपुर को नई पहचान मिली है। पार्क के साथ माधोपुर का नाम विलोपित किए जाने को लेकर जो भ्रम लोगों के बीच पैदा हुआ है वह कहीं से भी सही नहीं है। वहां पेंङ्क्षटग के दौरान निचले स्तर पर कुछ चूक हुई है, जिसे सुधार लिए जाएंगे। एक बार फिर से उन्होंने भरोसा दिलाया कि माधोपुर के नक्शे में महावीर वाटिका है और महावीर वाटिका के अभिलेख में माधोपुर का नाम अंकित है जिसे कोई मिटा नहीं सकता।