नजरिया बदल देने से बदलेगी जिंदगी : विप्रण सागर
दशलक्षण महापर्व के आठवें दिन शुक्रवार को उत्तम त्याग धर्म धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया।
भागलपुर। दशलक्षण महापर्व के आठवें दिन शुक्रवार को उत्तम त्याग धर्म धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया। कोतवाली स्थित दिगंबर जैन मंदिर में शुक्रवार को मुनिराज विप्रण सागर ने प्रवचन में कहा कि त्याग असंतुलन को मिटाता है। आत्मनिर्भरता सबसे बड़ा सुख है। कभी भी किसी की मदद इस तरह नहीं करना चाहिए कि उसके आसपास के लोगों की आंखों में चुभने लगे। मदद इस तरह करें कि जिसकी किसी को भनक तक नहीं लगे। गलत संगत में रहने का मतलब है खुद अपने लिए मुसीबतें खड़ी करना। बड़ा सोचने के लिए अपनी सोच पर विश्वास रखें। नजरिया बदल देने से जिंदगी बदल जाती है। त्याग बिना संसार से छुटकारा नहीं होता है। संसार में होने वाले अनर्थ कुसंग से होता है। त्याग के मार्ग पर चलकर ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है।
सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने बताया कि 23 सितंबर को भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव सह दशलक्षण महापर्व का समापन समारोह मनाया जाएगा। कोतवाली स्थित जैन मंदिर में सुबह 6.30 बजे अभिषेक और पूजन होगा। नाथनगर सिद्धक्षेत्र में सुबह 8.30 बजे 1008 कलशों के जल से महामस्ताभिषेक, पूजन एवं निर्वाण लाडू अर्पण किया जाएगा। समारोह को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह है। इसमें महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात एवं मध्यप्रदेश समेत विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु महापर्व में शामिल हो रहे हैं।