संकट में डहुआ की बुनकरी, 800 करघा बंद, बांका में स्टॉक है 10 करोड़ का कपड़ा
कोरोना का असर बुनकरों पर भी दिखने लगा है। बांका के डहुआ में करीब 800 करधा अभी बंद हैं। बुनकरों की मानें तो लॉकडाउन के कारण यहां पर अभी करीब दस करोड़ रुपये के कपड़े डंप हैं। इसकी सप्लाई बाधित है।
बांका [शेखर सिंह]। जिले के बौंसी प्रखंड के डहुआ गांव के 800 से अधिक पावरलूमों की आवाज लॉकडाउन व कोरोना संक्रमण के कारण बंद हो गई है। इस कारण प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग दो हजार से अधिक कामगारों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। बुनकर गफ्फार अंसारी, खयाम अंसारी, शमशाद अंसारी सहित अन्य ने बताया कि संताली साड़ी, गमछा, लूंगी, चादर सहित अन्य कपड़े भारी मात्रा में स्टॉक रखे हुए हैं।
ईद को लेकर कपड़े की बिक्री को लेकर बुनकरों को काफी उम्मीद थी। कोरोना के बढ़ते मामलों ने सब चौपट कर दिया है। स्थिति इतनी खराब है कि महाजन व बैंक का कर्ज भी नहीं चुका पा रहे हैं। बुनकर संघ के अध्यक्ष मुरताज अंसारी ने बताया कि कपड़ा तैयार होकर पटना, झारखंड, बंगाल, उड़ीसा आदि जगहों में बिक्री के लिए जाता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण बिक्री पूरा ठप पड़ गया है। पांच प्रतिशत भी बिक्री नहीं हुई है। इससे करोड़ों का माल लॉक हो गया है।
जानकारी हो कि कोराना काल को लेकर पिछले एक साल से अधिक समय से पावर लूम की स्थिति सही नहीं है। लॉकडाउन के कारण कपड़ा दुकान बंद हो गया है। जिसकी वजह से बिक्री पूरी तरह से ठप हो गया है। बुनकर तारीक अंसारी, मेराज अंसारी, खुर्शीद अंसारी, मनोहर अंसारी, मास्टर अजीज, अप्पू, कलाम अंसारी, हसीब अंसारी ने बताया कि बुनकरों को सरकारी सुविधा भी किसी प्रकार की मुहैया नहीं कराई गई है। छोटे पावर लूम में एक लाख एवं बड़े पावर लूम में दो लाख तक का स्टॉक है। बुनकरों के पास 10 करोड़ का कपड़ा स्टॉक पड़ा है। बुनकरों ने बैंक एवं जीविका से लोन लिया हैै। ऐसे में उनकी परेशानी बढ़ी हुई है।
नहीं बन सका कलस्टर
सरकारी स्तर पर बुनकरों का कलस्टर भी नहीं है। जिले में सबसे अधिक बुनकर डहुआ गांव में है। लेकिन आजादी के बाद आज तक बुनकरों की समस्या को निदान करने के लिए प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों ने कोई ठोस पहल नहीं किया। जिस कारण बुनकरों का पुश्तैनी व्यवसाय दम तोडऩे की स्थिति में है।
बुनकरों की आर्थिक सहायता के लिए अभी कोई पैकेज नहीं है। स्थिति सुधार के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सरकारी स्तर पर बुनकरों का सर्वे किया जा रहा है। रिङ्क्षलग मशीन और आर्थिक सहायता की योजना है। -रामशरण राम , जिला उद्योग महाप्रबंधक