Cyclone Yaas ALERT: सुपौल में किसानों के अरमानों पर यास ने फेरा पानी, मूंग और मक्का को भारी नुकसान
यास तूफान के कारण सीमांचल के किसानों को भारी नुकसान हुआ है। मूंग के खेतों में पानी जमने से जहां इस फसल को काफी नुकसान होने की संभावना है वहीं खेतों में काटकर रखी गई मक्का की फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है।
जागरण संवाददाता, सुपौल। बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान यास का असर पांचवें दिन भी जारी रहा। पांच दिनों से जारी इसका प्रकोप गुरुवार की रात से लेकर शुक्रवार की दोपहर तक भारी रहा। पूरी रात काफी तेज हवा के साथ झमाझम बारिश होती रही दोपहर बाद जब बारिश थमी और लोग घरों से निकले तो यास के छोड़े निशान सड़कों और खेतों में दिखने लगे। कई स्थानों पर पेड़ों की डालियां टूटकर गिर गई तो खेतों में जलजमाव नजर आया। मूंग के खेतों में पानी जमने से जहां इस फसल को काफी नुकसान होने की संभावना है वहीं खेतों में काटकर रखी गई मक्का की फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। कुल मिलाकर यास ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। संकट के ये बादल अभी टले नहीं हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार बंगाल की खाड़ी में यह चक्रवात कमजोर जरूर पड़ गया है लेकिन इससे जो हवा के कम दबाव का क्षेत्र बना है उससे पूरे राज्य में मध्यम से भारी बारिश के आसार बने हुए हैं। संभावना वज्रपात की भी जताई गई है। इन सबको देखते हुए लोगों को घरों में ही रहने की और बाहर निकलने पर सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
कोसी के इस क्षेत्र में किसानी ही अधिसंख्य लोगों की जीविका का साधन है लेकिन कृषि कार्य पर प्रकृति की वक्र ²ष्टि सदैव बनी रहती है। अभी कोसी की बाढ़ को आने में समय है उससे पहले ही टाक्टे और उसके बाद यास के प्रभाव से खेतों में लगी फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। इस समय किसानों के खेतों में मुख्य रूप से मूंग, मक्का और केला की फसल लगी हुई है। लगभग पांच दिन टाक्टे में लगातार आंधी-बारिश और अब यास का पांचवें दिन हुई बारिश का असर फसलों पर भी देखा जा रहा है। बारिश के कारण अब सबसे अधिक नुकसान मूंग की खेती को होने की संभावना है। मूंग यहां के किसानों के लिए दलहन की मुख्य फसल है। दलहन की यह फसल किसानों के लिए नकदी फसल भी मानी जाती है। यह फसल किसानों के लिए फायदेमंद इस लिहाज से भी है कि इसकी खेती में किसानों को लागत अधिक नहीं आती। गेहूं काटने के साथ खेतों की जोताई कर मूंग बो देते हैं। गेहूं की खेती में खेत की अच्छी तरह से जोताई हुई रहने के कारण इसमें भी खर्च कम आता है। दूसरी यह कि इस फसल की ङ्क्षसचाई के लिए किसानों को अधिक परेशान नहीं होना पड़ता। अधिक मूंग के पौधे अधिक पानी बर्दाश्त नहीं करते और अधिक पानी लगने के बाद सूख जाते हैं। टाक्टे की बारिश को झेलने के बाद तेज धूप निकलने से किसानों को मूंग की फसल के संभल जाने की उम्मीद जगी थी कि यास ने सब गुड़ गोबर कर दिया है।
खेतों में बारिश का पानी जमा है। किसानों का कहना है कि जैसे-जैसे पानी सूखता जाएगा उसी के साथ पौधे भी सूखते जाएंगे। इसी तरह खेतों में काटकर रखे गई मक्का की बालियोंको भी बारिश से काफी नुकसान हुआ है। बाजितपुर के किसान शैलेंद्र मोहन ङ्क्षसह बताते हैं कि लगभग दो एकड़ मक्का की बालियां खेतों में तोड़कर घर लाने के लिए रखी हुई थी। इधर पांच दिनों से हो रही बारिश से खेतों में पानी जमा हो गया है। बालियों को ढंककर गया है लेकिन नीचे से पानी जाने के कारण दाने खराब हो जाएंगे।
बता दें कि सोमवार से ही इस चक्रवात का असर दिखना शुरू हो गया था। पहले दिन सुबह के समय तेज हवा के साथ लगभग दो घंटे तक बारिश हुई। दूसरे दिन दिनभर हवा के झोंके साथ कभी-कभी बूंदाबांदी हुई लेकिन गुरुवार को इसका वेग बढ़ गया। रातभर आसमान में बादल छाए रहने के बाद गुरुवार की सुबह से ही तेज हवा चलनी शुरू हो गई। हवा के साथ बारिश भी शुरू हुई। तेज हवा दिनभर चलती रही और इसके साथ रातभर बारिश भी जारी रही। तेज हवा के कारण कई क्षेत्रों में बिजली गायब रही। बाजितपुर के केदार ङ्क्षसह बताते हैं कि गुरुवार की रात से बिजली गायब रही। शुक्रवार की दोपहर थोड़ी देर के लिए आई और फिर चली गई है। उन्होंने बताया कि बिजली नहीं रहने से मोबाइल भी चार्ज नहीं कर पा रहे हैं, टीवी और मोबाइल बंद रहने से मौसम संबंधी जानकारी भी नहीं मिल पा रही है।