भागलपुर के इस थाने में पुलिस की सख्ती से सिंचाई विभाग के कर्मी की मौत, जानिए... क्या है मामला
भागलपुर पुलिस ने सिंचाई विभाग के एक कर्मचारी को पकड़कर थाना लाया। पुलिस ने उसके साथ सख्ती की। वह निर्दोष था। उसे दो टोले में हुए विवाद की भी जानकारी भी थी। पुलिस की सख्ती पूछताछ और डर से उसकी मौत हो गई। स्वजनों ने पुलिस पर कई आरोप लगाए।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। बरारी थानाक्षेत्र के मायागंज मोहल्ले में सोमवार को थाने में हिरासत में लिए गए संजय अकेला की कस्टोडियल डेथ पर तनाव फैल गया है। एसएसपी निताशा गुड़िया ने मायागंज इलाके को छावनी में बदल दिया गया है।
जानकारी के अनुसार मायागंज स्थित पासवान टोले के शीश पासवान, रामस्वरूप पासवान और ग्वाल टोली के लुचो यादव के परिवार के बच्चे में दिन में ही कहासुनी हुई थी। बाद में ग्वाल टोली से काफी संख्या में लोग पासवान टोला पहुंच शीश पासवान, रामस्वरूप पासवान आदि के घर घुसकर मारपीट की। घटना की जानकारी पर पहुची पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। उस दौरान बसरी थाने में तैनात अवर निरीक्षक दुर्गानंद हांसदा को भी लोगों ने लाठी से पीट दिया था। स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख अधिक संख्या में पुलिस बल को वहां तैनात कर दिया गया। इस दौरान सिटी एएसपी पूरण कुमार झा मौके पर पहुचे। बरारी पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में ले लिया।
इस दौरान बरारी से लौटे सिंचाई विभाग कर्मी संजय अकेला को भी पुलिस पकड़ कर थाने लेते आई। संजय बांका में पोस्टेट थे। उसे हिरासत में लेने का विरोध उसके बेटी ने की भी की। इस पर पुलिस ने एक नहीं सुनी। बेटी का कहना था कि उसके पिता तो बाहर से आ रहे हैं, इस झगड़े से उनका कोई लेनादेना नहीं था। लेकिन पुलिस ने उसे भी पकड़कर थाने लेते गई। बेटी रोटी रही लेकिन उसकी आवाज पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उसने यह भी कहा कि पिता की तबियत ठीक नहीं रहती पर किसी ने उसकी एक नहीं सुनी। थाने ले जाकर संजय से पुलिस घटना के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई। उसी दौरान उसकी तबियत अचानक बिगड़ गई और वह मूर्छित हो गिर गया। तत्काल उसकी मौत हो गई। बरारी पुलिस का कहना है कि संजय की तबियत खराब होने की शिकायत पर जवाहरलाल नेहरू अस्पताल मायागंज के आपतकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हृदय गति रुक जाने से हो गई। इधर संजय अकेला की पत्नी, स्वजन आदि का कहना है कि पुलिस जब उसे घर के पास से पकड़ कर ले गई तो वहां सख्ती से पेश आई। जबकि वह बाहर से तुरन्त घर पहुंचा था। थाने में ही उसकी मौत हुई है। मृतक के स्वजनों का आरोप है कि एक निर्दोष को पकड़कर थाने ले जाना कहां तक उचित है। घटना के समय वह यहां मौजूद भी नहीं था।