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बांका में हर पिकनिक स्पॉटों पर उमड़ेगी भीड़, सुरक्षा के भी किए गए हैं इंतजाम

बांका में लोगों के बीच नववर्ष की खुशियां मनाने का उत्‍साह परवान चढ़ने लगा है। हर तरफ इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। खासकर युवा वर्ग में ज्‍यादा उत्‍साह देखा जा रहा है। यहां के हर पिकनिक स्‍पॉट पर अच्‍छी खासी भीड़ जुटने की उम्‍मीद है। सुरक्षा भी कड़ी है

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 04:01 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 04:01 PM (IST)
बांका में हर पिकनिक स्पॉटों पर उमड़ेगी भीड़, सुरक्षा के भी किए गए हैं इंतजाम
बोले एसपी सभी पिकनिक स्पॉटों पर पुलिस की रहेगी सुरक्षा

जागरण संवाददाता, बांका। नववर्ष पर पिकनिक को लेकर कटोरिया व आस-पास के क्षेत्रों में पिकनिक स्पॉट लोगों का इंतजार कर रहा है। प्रखंड में प्रसिद्ध झझवा पहाड़ हो या फिर सदैव झर-झर बहता लोढीकुंडा झरना या फिर बनरचूहा जंगल का मनोरम छटा एवं प्राकृतिक छटा पिकनिक व सैर सपाटा के लिए लोगों को आकर्षित कर रहा है। इधर, एसपी अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि सभी पिकनिक स्पॉटों पर पुलिस की सुरक्षा बेहतर रहेगी।

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प्रखंड में इन स्थलों पर जुटती है भीड़

झझवा पहाड़

कटोरिया-सिमुलतला मुख्य सड़क मार्ग पर आनंदपुर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर है, झझवा पहाड़ की मनोरम छटा, उंची-उंची पहाडिय़ा व कल-कल बहती बडुआ नदी को देख लोगों ने इसे मिनी शिमला का नाम भी दिया है। कटोरिया, चांदन के अलावा पश्चिम बंगाल से सिमुलतला पहुंचने वाले सैलानी भी यहा भारी संख्या में पहुंचते हैं।

लोढीकुंडा झरना 

प्रखंड मुख्यालय से लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर मुक्ति निकेतन के पीछे हर्बल गार्डन के बगल में है लोढीकुंडा झरना। गर्मी, बरसात व ठंडा तीनों मौसम में लोढीकुंडा का झरना बहते रहता है। झरने के इर्द-गिर्द अवस्थित जंगल व आयुर्वेदिक पौधों से सुसज्जित यह मनोरम जगह लोगों को पिकनिक के लिए आकर्षित करता है। ऐसी मान्यता है कि इस झरने में स्नान करने से कई प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।

बनरचूहा जंगल

 प्रखंड मुख्यालय का सबसे पुराना जंगल के नाम से प्रसिद्ध बनरचूहा जंगल भी पिकनिक स्पॉट के रूप में लोगों को आकर्षित करता है। इसे नर्सरी जंगल के नाम से भी जाना जाता है। वन विभाग के पुराने गेस्ट हाउस में भी अधिकारी व राजनेता पिकनिक के दौरान विश्राम फरमाते हैं। बनरचूहा जंगल के बीच के घने वन के अगल-बगल के इलाके को लोग पिकनिक के लिए चयन करते हैं। यहा जिले के अधिकारी, राजनेताओं से लेकर क्षेत्र के शहरी व देहाती लोग पहुंच कर वनभोज मनाते हैं।

सुडिय़ाझाझा मंदिर

कटोरिया से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है, सुडिय़ाझाझा मंदिर व गडुरा नदी के बीच बड़े-बडे चट्टानों पर बने शिवलिंग  सहित कई आकर्षक आकृतिया व प्रकृति का अछ्वूत नजारा लोगों को अपनी ओर खींचती है। पत्थर पर बने जागरण संवाददाता, बांका।  नववर्ष पर पिकनिक को लेकर कटोरिया व आस-पास के क्षेत्रों में पिकनिक स्पॉट लोगों का इंतजार कर रहा है।  प्रखंड में प्रसिद्ध झझवा पहाड़ हो या फिर सदैव झर-झर बहता लोढीकुंडा झरना या फिर बनरचूहा जंगल का मनोरम छटा एवं प्राकृतिक छटा पिकनिक व सैर सपाटा के लिए लोगों को आकर्षित कर रहा है। इधर, एसपी अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि सभी पिकनिक स्पॉटों पर पुलिस की सुरक्षा बेहतर रहेगी। 

प्रखंड में इन स्थलों पर जुटती है  भीड़

झझवा पहाड़ 

 कटोरिया-सिमुलतला मुख्य सड़क मार्ग पर आनंदपुर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर है, झझवा पहाड़ की मनोरम छटा, उंची-उंची पहाडिय़ा व कल-कल बहती बडुआ नदी को देख लोगों ने इसे मिनी शिमला का नाम भी दिया है। कटोरिया, चांदन के अलावा पश्चिम बंगाल से सिमुलतला पहुंचने वाले सैलानी भी यहा भारी संख्या में पहुंचते हैं।

लोढीकुंडा झरना : 

प्रखंड मुख्यालय से लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर मुक्ति निकेतन के पीछे हर्बल गार्डन के बगल में है लोढीकुंडा झरना। गर्मी, बरसात व ठंडा तीनों मौसम में लोढीकुंडा का झरना बहते रहता है। झरने के इर्द-गिर्द अवस्थित जंगल व आयुर्वेदिक पौधों से सुसज्जित यह मनोरम जगह लोगों को पिकनिक के लिए आकर्षित करता है। ऐसी मान्यता है कि इस झरने में स्नान करने से कई प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।

बनरचूहा जंगल

 : प्रखंड मुख्यालय का सबसे पुराना जंगल के नाम से प्रसिद्ध बनरचूहा जंगल भी पिकनिक स्पॉट के रूप में लोगों को आकर्षित करता है। इसे नर्सरी जंगल के नाम से भी जाना जाता है। वन विभाग के पुराने गेस्ट हाउस में भी अधिकारी व राजनेता पिकनिक के दौरान विश्राम फरमाते हैं। बनरचूहा जंगल के बीच के घने वन के अगल-बगल के इलाके को लोग पिकनिक के लिए चयन करते हैं। यहा जिले के अधिकारी, राजनेताओं से लेकर क्षेत्र के शहरी व देहाती लोग पहुंच कर वनभोज मनाते हैं।

सुडिय़ाझाझा मंदिर  

कटोरिया से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है, सुडिय़ाझाझा मंदिर व गडुरा नदी के बीच बड़े-बडे चट्टानों पर बने शिवलिंग   सहित कई आकर्षक आकृतिया व प्रकृति का अछ्वूत नजारा लोगों को अपनी ओर खींचती है। पत्थर पर बने शिवलिंग  पर झरना का पानी निरंतर गिरते रहता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मंदराचल के साथ गडुरा से उतर कर यहा विश्राम किया था। 

 पर झरना का पानी निरंतर गिरते रहता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मंदराचल के साथ गडुरा से उतर कर यहा विश्राम किया था।


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