Black Gold पर अपराधियों की पैनी नजर, कटिहार के किसानों ने एसपी से की पुलिस कैंप की मांग
दियारा के काला सोना Black Gold पर अपराधियों की नजर है। यहां के किसानों के लिए कलाई की खेती वरदान से कम नहीं है ऐसे में वे इस खेती को करने से डर रहे हैं। किसानों ने पुलिस कैंप की मांग एसपी से की है।
प्रीतम ओझा, मनिहारी (कटिहार)। दियारा का काला सोना (Black Gold) माना जाने वाले कलाई पर अपराधियों की पैनी नजर है। इसको लेकर किसानों में डर है। यही वजह कि वे अब इसकी खेती नहीं करना चाहते हैं। मामला झारखंड के साहिबगंज की सीमा से लगे मनिहारी के दियारा इलाके का है, जहां गंगा का जलस्तर कम होते ही किसानों कलाई की खेती करते हैं। यहां बड़े भू-भाग में किसानों की जमीनें हैं।
किसानों की मानें तो वे पिछले दो वर्षों से कलाई की खेती नहीं कर पाए हैं। दियारा में अपराधी गिरोहों की की आवाजाही होती है और वे खेती करने के एवज में रंगदारी की मांग करते हैं, इससे किसानों में भय व्याप्त है। कई स्थानों पर तो अपराधियों ने किसानों की जमीन पर कलाई की खेती के लिए कब्जा भी कर लिया है। कलाई फसल को लेकर दियारा में सक्रिय अपराधी गिरोहों के बीच हिंसा की खबरें भी सामने आती रहीं हैं।
किसानों की समस्या
- दियारा में फसल बोआई से लेकर तैयारी तक किसानों को सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- दियारा क्षेत्र में बड़े भूभाग में रैयती जमीन, सरकारी जमीन व बंदोबस्त जमीन भी है।
- दियारा के अपराधी इन जमीनों पर कब्जा कर लेते हैं।
- किसानों को अपनी जमीन तक जाने के लिए भी अपराधियों के रहमो करम पर निर्भर रहना पड़ता है।
- दियारा में जिसकी लाठी उसकी भैंस की तर्ज पर खेती व पशुपालन किया जाता है।
बैद्यनाथपुर दियारा में पुलिस कैंप की किसानों ने की मांग
किसानों के बीच इस भय को दूर करने के लिए पुलिस समय समय पर गश्ती और छापेमारी अभियान चलाती है लेकिन यहां अभी तक स्थायी रूप से पुलिस कैंप नहीं बना। पुलिस छापेमारी के दौरान दियारा की विषम भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाकर अपराधी आसानी से बच निकलते हैं। कभी कभी तो पुलिस व अपराधी गिरोहों के बीच मुठभेड़ तक की घटना हो जाती है।
सैकड़ों एकड़ जमीन पर होती है ब्लैक गोल्ड की खेती
फसल कटाई के समय दियारामें अस्थायी पुलिस कैंप बनाया जाता है। मनिहारी के बैद्यनाथपुर दियारा, महेशपुर दियारा, कमालपुर, काशीचक, बघार मौजा का एक हिस्सा, कांटाकोश मौजा का हिस्सा, धुरियाही का एक हिस्सा, काला दियारा सहित अन्य दियारा इलाके में सैकड़ों एकड़ में जमीन पर कलाई की खेती होती है।
कम लागत और अधिक मुनाफा होने से अपराधियों की नजर भी कलाई की खेती पर होती है। गंगा का जलस्तर कम होते ही दियारा में कलाई का बीज छींटा जाता है। दिसम्बर से जनवरी फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। किसानों ने अपनी इन्हीं सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए कटिहार एसपी से गुहार लगाई है। उनकी मांग है कि दियारा में जल्द से जल्द कैंप बनाया जाए, ताकि वे भयमुक्त होकर कलाई की खेती कर सकें।