टॉप बॉक्स : डेढ़ सौ से ज्यादा मामलों पर कुंडली मार बैठ गए इंस्पेक्टर
जिले में पुलिस तफ्तीश के तरीके की पोल खुल गई। लंबे समय तक न्याय न मिल पाने की वजह थानेदार हैं। इसका ताजा उदाहरण सदर इंस्पेक्टर मो. इनामुल्लाह हैं। जो डेढ़ सौ से ज्यादा नॉन एसआर केसों पर कुंडली मार बैठे हैं।
भागलपुर [बलराम मिश्र]
जिले में पुलिस तफ्तीश के तरीके की पोल खुल गई। लंबे समय तक न्याय न मिल पाने की वजह थानेदार हैं। इसका ताजा उदाहरण सदर इंस्पेक्टर मो. इनामुल्लाह हैं। जो डेढ़ सौ से ज्यादा नॉन एसआर केसों पर कुंडली मार बैठे हैं। इनके पास डेढ़ सौ से ज्यादा मामले सुपरविजन के लिए लंबित पड़े हैं। इसी तरह शहर के कई थानेदारों की कार्यशैली ऐसी है। हालांकि प्रत्येक माह होने वाली क्राइम मीटिंग में पुलिस कप्तान ताकीद करते हैं कि अनुसंधान समय पर हो। लेकिन थानेदारों को इसकी परवाह नहीं है। सदर इंस्पेक्टर के खिलाफ डीएसपी विधि व्यवस्था राजेश सिंह प्रभाकर ने जिला कप्तान को पत्र भेजकर जानकारी दी है। इसके अलावा सुधार नहीं होने पर अनुशासनिक कार्रवाई की बात कही है।
नहीं समर्पित की जाती है पर्यवेक्षण टिप्पणी
डीएसपी ने 22 अक्टूबर को सदर इंस्पेक्टर को पत्र लिखते हुए चेतावनी दी है। डीएसपी द्वारा कहा गया है कि इंस्पेक्टर द्वारा पर्यवेक्षण टिप्पणी समर्पित नहीं करने के कारण कई अनुसंधानकर्ता का कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में कांडों के निष्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वहीं लंबित कांडों की संख्या बढ़ती जा रही है। सितंबर 2017 के अंत तक सदर अंचल में पर्यवेक्षण के लिए लंबित 157 नॉन एसआर केस लंबित हैं। जिसमें जगदीशपुर थाने का 95 केस, सबौर थाने में 40 केस और गोराडीह में 22 केस लंबित हैं। डीएसपी ने पत्र में कहा है कि पर्यवेक्षण लंबित रहने से सबूत नष्ट होने का डर रहता है। जिससे अभियुक्त पक्ष को लाभ मिल जाता है।
पॉकेट निष्पादित कांडों में भी समर्पित नहीं होता अंतिम प्रपत्र
सदर इंस्पेक्टर द्वारा कई बार वरीय अधिकारियों द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद भी उन्होंने पॉकेट निष्पादित कांडों में अंतिम प्रपत्र समर्पित नहीं कराया। वे हमेशा वरीय के आदेश को दरकिनार करते रहे। इस कारण पॉकेट निष्पादित कांडों की संख्या सितंबर माह के अंत तक 268 है। यहीं नहीं सदर इंस्पेक्टर द्वारा पॉकेट निष्पादित कांडों में 84 नॉन एसआर कांडों में बिना पर्यवेक्षण, समीक्षात्मक टिप्पणी निर्गत किए और अनुसंधानकर्ता को किसी निर्देश के बिना ही सदर अंचल के डेली रिपोर्ट से गायब कर दिया गया। इसके अलावा यूडी कांड के हत्याकांड में परिवर्तित होने पर भी उनके द्वारा जांच प्रतिवेदन नहीं दिया जाता है।