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Coronavirus: कोरोना काल में नहीं खुले रहे राजनीतिक दलों के कार्यालय, डर से नहीं कर रहे सेवा कार्य

Bhagalpur coronavirus update भागलपुर में कोरोना वायरस का संक्रमण काफी बढ़ गया है। इस कारण यहां के राजनीतिक दल के कार्यालय बंद हैं। कार्यक्रम रुका हुआ है। यहां तक कि डर के मारे सेवा कार्य भी नहीं हो रहा है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 11:50 AM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 11:50 AM (IST)
Coronavirus: कोरोना काल में नहीं खुले रहे राजनीतिक दलों के कार्यालय, डर से नहीं कर रहे सेवा कार्य
भागलपुर जिले का भारतीय जनता पार्टी कार्यालय।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। कोरोना काल में भागलपुर में सारी राजनीति गतिविधियां ठप पड़ गई है। यहां तक के डर के मारे पार्टी नेता सेवा कार्य भी नहीं करते हैं। राजनीतिक दलों के कार्यालय नहीं खुल रहे हैं। वर्चुअल कार्यक्रम का भी आयोजन नहीं हो रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री के मन की बात को भी अपने अपने घरों में सुना। राजद जदयू लोजपा जैसे संगठन की ओर से भी इस दौरान कोई कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है। सभी दलों के कार्यकर्ता अपने घरों में कैद हो गए हैं। राजनीति दोनों के नेताओं की ओर से फिलहाल जो विज्ञप्ति जारी हो रही है वह शोक व्यक्त करने तक ही सीमित है। इक्का-दुक्का नेता ऑक्सीजन व अन्य मेडिकल सुविधाओं को लेकर बयान जारी कर रहे हैं। लेकिन सामूहिक रूप से सारे कार्यक्रम रद कर दिए हैं। अधिकांश राजनीतिक दलों के कार्यालय पिछले 15 दिनों से नहीं खुला है। भाजपा के जिला प्रवक्ता इंदु भूषण झा क्या कहना है कि कोरोना काल में किसी भी सामूहिक कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई है। जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय ने प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के लिए सभी कार्यकर्ताओं को अपने घरों में ही सुनने का निर्देश दिया था। बैठक आदि नहीं होने के कारण कार्यालय नहीं खोला जा रहा है। राजद के प्रदेश महासचिव डॉ चक्रपाणि हिमांशु का कहना है कि सारी राजनीतिक गतिविधियां ठप है। भीड़-भाड़ से नेताओं को परहेज करने के लिए कहा गया है। कार्यकर्ता एक दूसरे के सुख दुख में सहभागी बन रहे हैं। जरूरत पड़ने पर लोग एक दूसरे के घर पर जा रहे हैं।

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इधर आम लोगों की मदद के लिए कोई भी राजनीतिक दल सामने नहीं आ रहे हैं। चाहे लोगों तक मास्क पहुंचाने की बात हो या फिर सैनिटाइजर या फिर जरूरत की चीजों की बात हो। कहा जा रहा है कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव होने के कारण नेताओं ने अपनी जान की परवाह नहीं की थी। लेकिन इस बार शहर की तुलना में पंचायतों में नेताओं की गतिविधियां बढ़ी हुई है। गांव-गांव में राजनीतिक दलों के नेता जरूरतमंदों के बीच सामान पहुंचा रहे हैं।


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