CoronaVirus : संक्रमितों के मामले में बिहार में दूसरे पायदान पर पहुंचा भागलपुर, जांच के मामले में तीसरे नंबर पर
Coronavirus संक्रमितों के मामले में भागलपुर राज्य में दूसरे पायदान पर है। भागलपुर से ज्यादा राजधानी पटना में संक्रमितों की संख्या है। जिले में जांच करने की गति बढ़ा दी गई है।
भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्ला]। जिले में कोरोना विस्फोट हो गया है। इधर, कुछ दिनों से प्रतिदिन 50 से ज्यादा मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित मिल रहे हैं। भागलपुर में जांच की गति बढ़ा दी गई है। जिले में जेएलएनएमसीएच और सदर अस्पताल में कोरोना वायरस से संदिग्ध लोगों की जांच होती है। रोज एक सौ ज्यादा लोगों की जांच की जा रही है। जांच के बाद रिपोर्ट 24 घंटे बाद प्राप्त होते हैं। मंगलवार तक यहां 10109 मरीजों की जांच हुई। इसमें से 643 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं। बुधवार को भी भागलपुर में 50 मरीज मिले। अब यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 693 हो गई है। संक्रमितों में कोविड सेंटर में रखा जाता है। वहीं, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को जेएलएनएमसीएच में भर्ती कराया जाता है। जिले में अब तक लगभग साढ़े चार सौ मरीज स्वस्थ हो गए हैं। स्वस्थ हुए लोगों पर भी अस्पतालकर्मी नजर बनाए रखती है।
भागलपुर में संक्रमितों की संख्या राज्य में दूसरे नंबर पर है। सर्वाधिक लोग पटना में संक्रमित हैं। पटना में 1397 लोग संक्रमित हैं। वहीं, राज्य में तीसरे नंबर में सीवान है, जहां मंगलवार तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 590 थी। जांच के मामले में भागलपुर तसरे नंबर पर है। भागलपुर से ज्यादा नालंदा और बेगूसराय में जांच की गई है। नालांदा में अब तक 11590 और बेगूसराय 10419 कोरोना वायरस संदिग्ध लोगों की जांच हुई। जबकि राजधानी पटना में अपेक्षाकृत जांच कम हुई है। यहां 5735 लोगों की जांच हुई है। जबकि पटना में संक्रमितों की संख्या राज्य में सबसे ज्यादा है।
स्वास्थ्य विभाग जांच को लेकर गंभीर नहीं
अब जबकि भागलपुर में संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। स्वास्थ विभाग और जिला प्रशासन में गंभीरता कम होती जा रही है। हालांकि जिला प्रशासन ने गुरुवार से रविवार तक भागलपुर, कहलगांव और नवगछिया में पूर्ण लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया है। लेकिन जिस गति से संख्या बढ़ी है, इसके लिए यह काफी नहीं है। कोरोना संक्रमितों व्यक्ति के घर के अन्य सदस्यों और आसपास के लोगों की जांच के लिए प्रशसन गंभीर नहीं है। वहीं, जांच की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। लोगों को यह भी मालूम नहीं है जांच कैसे और कहां होगी। इसकी प्रक्रिया क्या है। ज्यादातर जांच कराने गए लोगों को पूछताछ कर लोटा दिया जाता है कि आप ठीक हैं। इसके अलावा जहां जांच की जाती है वहां गंदगी भी है। शारीरिक दूरी का पालन भी नहीं किया जाता। जगह-जगह प्रयोग में लाए गए मास्क फेंके मिलते हैं।