नए साल के जश्न पर दिखेगा कोरोना का असर, सीमावर्ती जिले के लोग इस साल पिकनिक के लिए नहीं जा सकेंगे नेपाल
कोरोना का असर नए साल के जश्न पर भी दिखेगा। इस बार हर साल की तरह सीमावर्ती जिले के लोग पिकनिक मनाने नेपाल नहीं जा सकेंगे। अन्य पर्व-त्योहारों की तरह नए साल का उत्साह भी कोरोना की भेंट चढ़ेगा और जश्न फीका-फीका दिखेगा।
जागरण संवाददाता, सुपौल। कोरोना के कहर से आज पूरा विश्व जूझ रहा है। वायरस के बदलता स्ट्रेन न लोगों को परेशान किए हुए है, बल्कि चिंता भी बढ़ाए हुए है। कई देश संक्रमण के नए स्ट्रेन से जूझ रहे हैं। कोरोना के कहर के कारण भारत में भी असमंजस की स्थिति है। मार्च 2020 में पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया। नतीजा रहा कि सारे पर्व-त्योहार पर कोरोना का असर दिखा और फीके-फीके से नजर आए पर्व-त्योहार। अब जब 2020 की विदाई और 2021 के आगमन का समय आन खड़ा है तो लग रहा है कि नए साल के जश्न पर भी कोरोना का असर दिखेगा।
पर्व-त्योहर पर भी नहीं दिखी चहल-पहल
सांस्कृतिक, धार्मिक व ऐतिहासिक विरासत से धनी इस भारत देश में पर्व-त्योहार धूमधाम से मनाने की परंपरा रही है। होली-दिवाली, दुर्गा पूजा, ईद-बकरीद सभी पर्व-त्योहार यहां भाईचारे के बीच मनाए जाते हैं। किन्तु कोरोना के कहर के कारण सरकार द्वारा जारी आदेश के आलोक में सोशल डिस्टेङ्क्षसग के चक्कर में 2020 में पर्व-त्योहार को लेकर कोई खास चहल-पहल नहीं दिखी। लोगों ने पर्व-त्योहार की रस्म भर अदायगी की। मंदिर-मस्जिद पर भी लोगों के आवाजाही व अधिक तादाद में जमा होने पर रोक लगी रही। नतीजा रहा कि लोग पर्व-त्योहार की शुभकामना और मुबारकबाद भी संचार के माध्यम से ही देने को मजबूर रहे।
फीका-फीका दिखेगा नए साल का जश्न
भारत-नेपाल का सीमावर्ती जिला होने के कारण सुपौल जिले के साथ-साथ सीमा पार नेपाल में भी नए साल की धूम रहती है। बड़ी संख्या में लोग नया साल के अवसर पर पिकनिक मनाने पड़ोसी देश नेपाल भी जाते रहे हैं। किन्तु कोरोना के कारण नेपाल की सीमा सील है और एक देश से दूसरे देश में आवाजाही भी बाधित है। दूसरी ओर संक्रमण के डर से लोग घर पर ही रहना पसंद कर रहे हैं और भीड़-भाड़ से बच रहे हैं। ऐसी स्थिति में तो नए साल के जश्न पर कोरोना का असर दिखना ही दिखना है। अन्य पर्व-त्योहारों की तरह नए साल का उत्साह भी कोरोना की भेंट चढ़ेगा और जश्न फीका-फीका दिखेगा।