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Corona virus effect : रेशम उद्योग धड़ाम, बुनकरों की आर्थिक नैया डगमगाई

Corona virus effect हैंडलुम और पावरलुम से जुड़े बुनकरों की आर्थिक हालत खराब हो गई है। काम बंद होने के कारण इनके घरों में दो वक्त का चूल्हा भी जलना मुश्किल हो गया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 02:08 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 02:08 PM (IST)
Corona virus effect : रेशम उद्योग धड़ाम, बुनकरों की आर्थिक नैया डगमगाई
Corona virus effect : रेशम उद्योग धड़ाम, बुनकरों की आर्थिक नैया डगमगाई

भागलपुर, जेएनएन। Corona virus effect :  भागलपुर की पहचान रेशमी शहर से है। रेशम उद्योग पर कोरोना इफैक्ट का सीधा असर दिख रहा है। लॉकडाउन में रेशमी उत्पादों का कारोबार पूरी तरह ठप है। वर्तमान में करीब दो अरब के रेशम वस्त्र तैयार होकर फंसा हुआ है। यहां से हर दिन 150 करोड़ के आसपास का कारोबार होता था, जो अभी पूरी तरह से बंद है। हैंडलुम और पावरलुम से जुड़े करीब 40 हजार बुनकर बेरोजगार हो गए हैं। इनके समक्ष भोजन के लाले पड़े हुए हैं। उद्योग को फिर से पटरी पर आने में अभी लंबा समय लगेगा।

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हर दिन साढ़े बारह क्विंटल धागे की खपत

रेशम कपड़ा निर्यातक जियाउर रहमान ने बताया कि अभी तक चीन और कोरिया के धागे की आपूर्ति होती थी। यहां प्रतिदिन लिलेन धागे की खपत 10 क्विंटल और रेशम धागा ढाई क्विंटल है। कोरोना के कारण कारोबार पहले की तरह नहीं हो रहा है। इस उद्योग को पटरी पर आने में लंबा समय लगेगा ।

निर्यातक और कारोबारी कर रहे मंथन

रेशम उद्योग को फिर से रफ्तार लाने के लिए सभी निर्यातक और कारोबारी मंथन करने लगे हैं। बिहार बुनकर कल्याण समिति के सदस्य अलीम अंसारी ने कहा कि उद्यमी योजना के तहत बुनकरों को राज्य सरकार से ऋण दिलाने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है। ऋण मिलने के बाद उद्योग धंधे को फिर से पंख लगेंगे।

बुनकारों की आर्थिक हालत दयनीय

हैंडलुम और पावरलुम से जुड़े बुनकरों की आर्थिक हालत खराब हो गई है। काम बंद होने के कारण इनके घरों में दो वक्त का चूल्हा भी जलना मुश्किल हो गया है। हालांकि संबंधित उद्यमियों ने बुनकरों को मदद जरूर की है। बुनकर समिति ने बताया कि 70 फीसद के पास राशन कार्ड नहीं है। ऐसे में राशन के लिए इन्हें परेशान हो रहा है। बुनकर असफाक अंसारी, सरयू तांती और इकबाल अंसारी ने बताया कि एक दिन काम करने की एवज में 250 से 270 रुपये मिलते थे। रोजगार बंद होने से स्थिति खराब हो गई है।

देश में तसर धागा उत्पादन हो रहा है। नए कपड़ों का ऑर्डर नहीं होने के धागे की मांग कम हो गई है। बुनकरों को देसी तसर इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। -एनएस गहलोत, प्रभारी, रेशम तकनीकी सेवा केंद्र।

मुख्‍य बातें

-जिले में सिल्क उद्योग प्रभावित, बुनकरों की हालत खराब

-नए कपड़े का आर्डर नहीं मिलने से धागे की नहीं हो रही खरीदारी

-02 अरब का रेशम वस्त्र बनकर है तैयार

-40 हजार बुनकर है हैंडलुम और पावरलुम शहरी क्षेत्र में

-150 करोड़ प्रतिदिन होता था जिले में रेशम का कारोबार

-12.5 क्विंटल रेशम धागे की हर दिन खपत

-250 किलोग्राम रेशम धागे की जरूरत होती है रेशमी कपड़ों के लिए


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