Corona effect : सैनिटाइज को कहा तो रूठ गए 'ननदोसी', बोले-अब दरवाजे पर कभी नहीं रखेंगे पांव
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए एहतियात बरतने को कहने पर एक ननदोसी नाराज हो गए। उन्होंने यहां तक कहा दिया कि अब हम कभी आपके यहां नहीं आएंगे।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। कोरोना वायरस से छिड़ी जंग में एहतियात बरत रहे परिवारों में नाराजगी का भी एहसास होने लगा है। कोरोना से सुरक्षा में पोस्टल कॉलोनी बरारी में रह रहे साले-सरहज से मिलने गए बहनोई रूठ गए। दरअसल अपने परिवार के साथ कमरे पर सुरक्षित रखे साले से जब बहनोई मिलने गए। दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा सरहज ने खोली। बेचारी हाथ में हैंड सैनिटाइजर की बोतल भी पकड़ रखी थी। वह ननदोसी (ननदोई) को सैनिटाइजर से हाथ रब करने का अनुरोध किया। सरहज का इतना कहना कि ननदोसी नाराज हो गए। सैनिटाइजर से हाथों को रब तो नहीं ही किया। यह बोलते वापस हो गए कि जाओ अब कभी तुम्हारे दरवाजे पर पांव नहीं रखेंगे। दूसरे माले पर मौजूद साले के कमरे के दरवाजे पर सीढिय़ां चढ़ उपर पहुंचे थे।
वापसी में इतने तमतमाए थे कि सीढिय़ां उतरते भला-बुरा कहते गए। इधर उनके व्यवहार से सकपका गई सरहज दरवाजा बंद कर अपने पति के पास दौड़कर गई। वाकया बताया तो अंदर के दूसरे दरवाजे खोल बालकनी में गए साले ने रूठ कर वापस लौट रहे बहनोई को पुकारा। लौटने के लिए चंद सेकेंट में कितने मनुहार किए पर बहनोई का गुस्सा तब तक सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। साले की एक नहीं सुनी। खिड़कियों से घर के बच्चों ने भी लौटकर आने की गुहार लगाई लेकिन सबकी अनसुनी कर वो वापस लौट गए। अब मोबाइल फोन की बारी थी। साले ने अपनी बहन को फोन लगाकर घटनाक्रम की जानकारी रुआंसे भाव में दिया। बहन बेचारी क्या कहती। सांत्वना दी कि आने दो। गुस्सा शांत होगा तो फिर जरूर जाएंगे मिलने। सैनिटाइज करने का अनुरोध करना तो बेहतरी के लिए तो किया? इसमें अपमान वाली बात क्या...
ऐसी स्थिति एक ननदोसी की नहीं बल्कि घरों में दूध, सब्जी देने वालों के अलावा नौकरानी आदि को भी सैनिटाइज करने बोलने पर नाराजगी का इजहार सामने आ रहा है। सैनिटाइज करने बोलने पर यह कहा जाता है कि पहले तो ऐसी बात नहीं होती थी? हम तो पहले भी साफ-सफाई का ख्याल रखते थे।