Move to Jagran APP

Corona effect : ...और क्लासरूम में उगने लगे मशरूम

Corona effect जमुई शहर मशरूम के शौकीन लोगों की रसोई से स्थानीय मशरूम की महक आने लगी है। 100 पैकेट से जुलाई माह में मशरूम की खेती किया प्रारंभ।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 03:04 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 03:04 PM (IST)
Corona effect : ...और क्लासरूम में उगने लगे मशरूम
Corona effect : ...और क्लासरूम में उगने लगे मशरूम

जमुई, जेएनएन। लॉकडाउन में विद्यालय लॉक हुआ तो क्लास रूम में मशरूम उगने लगे। यहां अब शिक्षक की जगह मजदूर ने ले ली है और बच्चों की कोलाहल की मशरूम पैकिंग मशीन की आवाज गूंजने लगी है। क्लास रूम में अब बेंच डेस्क नहीं बल्कि बांस का स्ट्रक्चर तैयार हो गया है। जी हां, कुछ ऐसा ही दृश्य शहर के प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों में शुमार मणिदीप अकादमी में इन दिनों दिख रहा है। जहां पांच वातानुकूलित कमरों में मशरूम का उत्पादन शुरु किया गया है। नतीजतन संक्रमण काल की चुनौती को अवसर में बदलने के संकल्प का सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगा है। बीते पांच दिनों से जमुई शहर मशरूम के शौकीन लोगों की रसोई से स्थानीय मशरूम की महक आने लगी है। हालांकि उत्पादन की मात्रा फिलहाल सीमित है लेकिन अगले माह से प्रत्येक लॉट में 1000 किलो मशरूम उत्पादन का लक्ष्य है और इसके लिए तैयारी भी लगभग पूर्ण हो चुकी है। तीन प्रजाति के मशरूम उत्पादन के लिए 700 बैग तैयार है और प्रथम चरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है।

loksabha election banner

कहते हैं निदेशक

मणिदीप अकादमी आवासीय विद्यालय के निदेशक अभिषेक बताते हैं कि संक्रमण काल में विद्यालय का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ जिसकी फिलहाल पटरी पर आने की उम्मीद नहीं दिख रही है। शिक्षक तो ऑनलाइन शिक्षा में एडजस्ट कर लिए गए लेकिन अन्य कर्मियों के लिए बड़ी समस्या थी। उन्हें नौकरी से निकालना भी नहीं था और बैठा कर वेतन दे भी नहीं सकते थे। ऐसे में उन्होंने विकल्प के तौर पर यह कदम उठाया और विद्यालय के खाली कमरों में मशरूम उत्पादन का कार्य प्रारंभ कर दिया। संक्रमण काल में प्रशिक्षण की समस्या सामने आई तो ऑनलाइन प्रशिक्षण का सहारा मिला। उनका मानना है कि बगैर हाथ पाव गंदा किए शुद्ध मुनाफा का यह व्यवसाय है। विद्यालय प्रारंभ हो जाने के बाद भी मशरूम की खेती जारी रखने के लिए उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था भी करनी प्रारंभ कर दी है।

फिलहाल आयस्टर मशरूम हो रहा तैयार

फिलहाल उजले और गुलाबी रंग में आयस्टर प्रजाति का मशरूम तैयार हो रहा है। बटन मशरूम तैयार होने में अभी 15 से 20 दिनों का वक्त लगेगा। आगे मिल्की मशरूम उत्पादन की तैयारी के लिहाज से बीज मंगवा लिया गया है।

एक बैग में एक से डेढ़ किलो की उपज

मशरूम की उपज प्रति बैग एक से डेढ़ किलो तक हो जाती है। एक बैग तैयार करने में अधिकतम 100 रुपये की लागत आती है। जमुई में मशरूम से 250 रुपये प्रति किलो प्राप्त हो रहे हैं। डेढ़ सौ ग्राम के पैकेट में सब्जी विक्रेताओं को वे 40 रुपये की दर से दी जा रही है।बंद कमरे में मशरूम उत्पादन अतिरिक्त आमदनी का बेहतर जरिया है। मणिदीप अकादमी के निदेशक द्वारा शुरु की गई यह पहल नौजवानों को प्रेरित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।-डॉक्टर सुधीर कुमार सिंह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.