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Corona effect : लॉकडाउन से अनानास और चाय उत्पादक बेहाल, बढ़ी परेशानी

लॉकडाउन के कारण मजदूर खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस कारण उत्पादन पर प्रतिकूल असर दिखने लगा है। साथ ही मजदूरों को भी आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 09:26 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 09:26 AM (IST)
Corona effect : लॉकडाउन से अनानास और चाय उत्पादक बेहाल, बढ़ी परेशानी
Corona effect : लॉकडाउन से अनानास और चाय उत्पादक बेहाल, बढ़ी परेशानी

किशनगंज, जेएनएन। चाय व अनानास उत्पादक राज्यों में बिहार को शुमार करने वाले किशगनंज के किसान बेहाल हैं। जिले में लगभग 25 हजार हेक्टेयर में चाय की व पांच हजार हेक्टेयर में अनानास की खेती हो रही है। लॉकडाउन के कारण मजदूर खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस कारण उत्पादन पर प्रतिकूल असर दिखने लगा है। साथ ही मजदूरों को भी आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।

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चाय की पत्तियां तुड़ाई के लिए तैयार हैं। अधिकांश किसानों के खेत में अनानास भी पक चुके हैं। किसान फल को मंडी पहुंचाने में असमर्थ हैं। इधर, चाय की पत्तियों को तोडऩे के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। जिले में लगभग पांच हजार हेक्टेयर में अनानास की खेती हो रही है। इससे सैकड़ों किसान व पांच हजार से अधिक मजदूर जुड़े हुए हैं। उत्पादित अनानास की एकमात्र मंडी बंगाल के विधाननगर की है। अनानास खरीदने वाले व्यापार मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं।

जिले के ठाकुरगंज प्रखंड सखुआडाली, कुकुरबाघी, भातगांव, पथरिया, बेसरबाटी, चुरली, कनकपुर, पटेशरी आदि पंचायतों में अनानास अब पक कर बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। आलोक लाहिड़ी, जयप्रकाश ङ्क्षसह, महेंद्र साह आदि किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण दिल्ली, वाराणसी, कानपुर, लखनऊ, कोलकाता, मेरठ आदि शहरों के व्यवसायी नहीं पहुंच पा रहे हैं। इधर, सरकार के निर्देश के बावजूद जिले में चाय की सभी फैक्ट्रियां बंद हैं।

लगभग तीन सप्ताह से प्लांट बंद होने के कारण किसान चाय के पौधे को बचाने के लिए मजबूरन में बढ़ीं पत्तियों को काटकर फेंक रहे हैं। चाय की खेती व कारोबार में लगभग 22 हजार किसान और मजदूर जुड़े हुए थे। कुछ किसानों ने बताया कि चाय की पत्तियों को नहीं तोडऩे के कारण पौधों में बीमारी भी फैलने लगी है। अरुण सिंह और धीरज मंडल ने चाय बगान लीज पर लिया है। इन्हें भी परेशानी हो रही है। जयंत लाहिड़ी ने बताया कि लॉकडाउन के पूर्व दो बार पत्तियां टूटी थीं। एक बार और पत्ती तोड़ी जानी थी। लॉकडाउन के बाद लगभग 50 क्विंटल चायपत्ती बर्बाद हो गई।


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