Corona effect : कैसे होगी ऑनलाइन पढ़ाई, इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी बनी बाधक
बिहार शिक्षा परियोजना ने स्कूली बच्चों को पढ़ाने के लिए अपना मोबाइल अपना स्कूल और उन्नयन एप जारी किया है। लेकिन इंटरनेट स्पीड बाधक है।
भागलपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थित के कारण देशभर में लॉकडाउन है। ऐसे में राज्य सरकार स्कूल कॉलेज के छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई का प्रयास कर रही है। पर इंटरनेट की सुस्त रफ्तार और कनेक्टिविटी ने सरकार की इस व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। छात्र-छात्राएं ऑनलाइन पढ़ाई के लिए वाट्सएप सहित डिजिटल प्लेटफार्म के अन्य आयामों पर लगे रहते हैं। लेकिन वाट्सएप ग्रुप पर शिक्षकों द्वारा अपलोड वीडियो खुलता ही नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई समय की बर्बादी और महज औपचारिकता बन कर रह गई है।
इधर बिहार शिक्षा परियोजना ने स्कूली बच्चों को पढ़ाने के लिए अपना मोबाइल अपना स्कूल और उन्नयन एप जारी किया है। जिसे प्ले स्टोर में जाकर छात्र डाउनलोड कर कक्षा छह से 12 तक की पढ़ाई ऑनलाइन घर बैठे कर सकते हैं। लेकिन हालात ऐसी है कि राज्य के बहुत से ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां नेट की सहज सुविधा उपलब्ध नहीं है। बहुत से अभिभावकों के पास एंड्रायड मोबाइल भी नहीं है, और अगर है भी तो उनकी आर्थिक स्थित ऐसी नहीं कि वे बच्चों की पढ़ाई के लिए नेट पैक भरा सकें। बहरहाल लॉकडाउन की स्थित में आर्थिक स्थिति और दयनीय हो गई है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई आखिर कैसे होगी। इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। फरका गांव निवासी सबौर हाई स्कूल के नवम वर्ग के छात्र नवीन कुमार के पिता सुरेश मंडल से पूछे जाने पर उन्होंने कहा लॉकडाउन में धंधा पानी बंद है। रोटी पर आफत है। सरकार बच्चे को ऑनलाइन पढ़ाने की बात कर रही है। जो गांव देहात में कदापि संभव नहीं है। वहीं लैलख उच्च विद्यालय के दसवीं कक्षा के छात्र सुमन मंडल ने बताया कि मोबाइल उपलब्ध होने के बाद भी यहां टावर काम नहीं करता है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई करना संभव नहीं है।
निजी स्कूल आगे
लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर निजी स्कूल सरकारी से काफी आगे हैं, निजी स्कूलों के बच्चों के पास जहां स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस है, वहीं सरकारी स्कूलों के बच्चों के पास ये सब नहीं हैं।
ये है स्थिति
जिले में 1810 सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालय तथा 200 से अधिक माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्कूल है। जिसमें कुल सात लाख बच्चे पढ़ते हैं इनमें से अधिकतर विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनके पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कोई संसाधन नहीं हैं।
ऑनलाइन बच्चों की पढ़ाई कैसे शुरू की जाय। इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। आवश्यकता हुई तो इस पर उच्चाधिकारियों से भी आवश्यक दिशा निर्देश मांगी जाएगी। - सुभाष कुमार गुप्ता, जिला कार्यक्रम अधिकारी स्थापना, शिक्षा विभाग, भागलपुर