Corona effect : ...और कल-कल कर बहने लगी गंगा, जल भी हुआ स्वच्छ
नदी को प्रदूषित करने वाले कल-कारखानों के बंद होने के कारण गंगा नदी में मिलने वाले दूषित जल का आना बंद है। लोगों का स्नान बंद हैं। लाशें नहीं के बराबर जल रही हैं।
भागलपुर [नवनीत कुमार] । लॉकडाउन के कारण जहां एक ओर शहरवासी स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं, वहीं गंगा नदी भी निर्मल हो रही है। भागलपुर में गंगाजल में 40 से 50 फीसद का सुधार दिख रहा है। नदी को प्रदूषित करने वाले कल-कारखानों के बंद होने के कारण गंगा नदी में मिलने वाले दूषित जल का आना बंद है। लोगों का स्नान बंद हैं। लाशें नहीं के बराबर जल रही हैं। जहाज का चलना बंद है, जिससे पानी स्वच्छ दिख रहा है। यह भी कह सकते हैं कि पानी में डुबकी लगाने के बाद जमीन दिखने लगी है।
गंगा नदी पर शोध कर चुके तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विवेकानंद मिश्र ने बताया कि लॉकडाउन शुरू होने से लेकर अब तक गंगा नदी के पानी में सुधार दिख रहा है। घाटों के किनारे होने वाली गतिविधियां बंद हैं, जैसे शव जलना, नौकायान या अन्य काम। इस कारण भी पांच से दस फीसद गंदगी कम हुई है। वहीं, सीवरेज पर लगाम नहीं लग पाई है। इस दौरान गंगा के काफी साफ होने के संकेत मिल रहे हैं। इसमें घुलित ऑक्सीजन 6 से 7 प्रति लीटर मिलीग्राम से बढ़कर 9-10 तक पहुंच गया है। लॉकडाउन के दौरान हर पारामीटर में 40 से 50 फीसद असर हुआ है। इस कारण गंगा निर्मल दिख रही है। अधिकतर उद्योगों का प्रदूषण गंगा में डिस्चार्ज होता है। यहां भारी पैमाने पर कपड़े की रंगाई होती है। केमिकल गंगा नदी में जाता था। कल-कारखानों के बंद होने के चलते यह नदी तक नहीं पहुंच पा रहा है।
प्रतिदिन सुल्तानगंज, भागलपुर और कहलगांव में डेढ़ से दो सौ लाशें जलती थीं। यह संख्या 10 से 20 हो गई है। राख कम प्रवाहित हो रही है। भारी संख्या में लोग गंगा स्नान करते थे और पुष्प आदि बहाते थे। अभी यह सब बंद है। इस कारण भी गंगा साफ हुई है। प्रो. मिश्र ने बताया कि भागलपुर में गंगा में होने वाले प्रदूषण में उद्योगों की हिस्सेदारी पांच से 10 फीसद होती है। लॉकडाउन की वजह से उद्योग-धंधे बंद हैं, इसलिए स्थिति बेहतर हुई है। अभी सीवेज बंद नहीं हुए है। इसमें करीब 43 नालों से नगर निगम के 25 और आम जनता का 45 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) पानी गंगा में जा रहा है। इससे कुछ अंश साफ देखने को मिला है। गंगा अनवरत बहाव से अपने आप साफ हो जाती है। सीवर के पानी पर रोक होता, तो गंगाजल पूरी तरह निर्मल होती।
पर्यावरणविद अरविंद मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियां भी बंद हैं, इसकी वजह से गंगा का पानी बहुत साफ नजर आ रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों में खासा सुधार देखा जा रहा है, जहां बड़े पैमाने पर कचरा नदी में डाला जाता था। उन्होंने कहा कि गंगा में भागलपुर के आसपास पानी बेहद साफ हो गया है। हालांकि, घरेलू सीवरेज की गंदगी अभी भी नदी में ही जा रही है। औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बंद ही हो गया है। इसीलिए पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मानिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। मॉनिटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर छह एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड दो एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफॉर्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है, जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है।