Move to Jagran APP

भागलपुर के अस्‍पतालों में लगातार हो रही मरीजों की मौत, दोषियों को सजा के बदले क्लीन चिट

जेएलएनएमसीएच हो या सदर अस्पताल इलाज में बरती जा रही मनमानी। चिल्लाते रहते हैं मरीज पर कोई सुनने वाला नहीं। दलालों पर भी लगाम लगाने में अधिकारी हो रहे विफल। अस्पताल से ले जाने के भी कई मामले उजागर होते रह हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 09:42 AM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 09:42 AM (IST)
भागलपुर के अस्‍पतालों में लगातार हो रही मरीजों की मौत, दोषियों को सजा के बदले क्लीन चिट
भागलपुर में लगातार चिकित्‍सकों की लापरवाही समाने आ रही है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सदर अस्पताल हो या जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में आए दिन मरीज की मौत पर स्वजन लापरवाही का आरोप लगाते रहे, लेकिन अधिकारी अनसुनी करते रहे। हालत यह है कि अगर लापरवाही की बात प्रथम दृष्टया साबित भी हो रही है तो भी अधिकारियों को कार्रवाई करने में हाथ कांपने लगते हैं और अतत: डाक्टर हो या कर्मचारी उन्हें क्लीन चिट दे दी जाती है, अथवा विभाग के अध्यक्षों के साथ बैठक कर कार्रवाई के नाम पर मामला ही सलटा दिया जाता है। मरीजों के इलाज के नाम पर अस्पताल से ले जाने के भी कई मामले उजागर होते रह हैं, लेकिन अबतक इसपर रोक लगाने में भी विभाग पूरी तरह विफल रहा है। ऐसे कई उदाहरण हैं।

loksabha election banner

चार जून : सदर अस्पताल - एसएनसीयू में इलाजरत बच्चे को शिशु रोग विशेषज्ञ क्लीनिक लेकर चले गए थे। इस मामले को सिविल सर्जन डा. उमेश शर्मा ने जांच में खुद उजागर किया था। उन्होंने यह भी कहा कि आए दिन अस्पताल से मरीजों को क्लीनिकों में ले जाने के मामले में यहां के नर्स और कर्मचारी भी संलिप्त रहते हैं। उन्होंने कड़ी कार्रवाई करने का भी भरोसा दिलाया था, लेकिन बाद में मामला यह कहकर दबा दिया गया कि अस्पताल में डाक्टरों की कमी है। अगर कार्रवाई करते हैं तो अस्पताल में मरीजों को परेशानी हो सकती है। इसलिए छोड़ा गया।

17 जुलाई : जेएलएनएमसीएच - सबौर के सुभाष कुमार को दुर्घटनाग्रस्त होने पर दोबारा जेएलएनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग में भर्ती किया गया था। सुभाष ने बताया कि जून में दुर्घटना में पैर फक्चर हो गया था। अस्पताल के ट्रामा वार्ड में भर्ती किया गया, लेकिन दलाल ने उसे निजी क्लीनिक पहुंचा दिया, जहां अस्पताल में कार्यरत डाक्टर ने आपरेशन कर पैर काट दिए थे। करीब डेढ़ लाख रुपये भी खर्च हुए। जब परेशानी बढ़ी तो पुन: अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। सिविल सर्जन ने नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन रद किया, लेकिन जेएलएनएमसीएच के डाक्टर पर कार्रवाई नहीं की गई। जिस कर्मचारी पर मरीज को नर्सिग होम ले जाने का आरोप था, उसे हड्डी विभाग से अन्य विभाग स्थानांतरित कर दिया गया।

20 सितंबर : जेएलएनएमसीएच - मुंगेर जिला के आठ वर्ष के आदर्श को पेट में दर्द की शिकायत को लेकर उसके पिता विनय कुमार ङ्क्षसह रात साढ़े 11 बजे इमरजेंसी में लेकर आए, लेकिन डाक्टरों ने भर्ती नहीं किया, सिर्फ रजिस्टर में नाम दर्ज कर कहा पटना ले जाओ। पटना जाने के दौरान ही बच्चे की मौत हो गई। इसकी खबर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को भी दी गई। हंगामा भी हुआ, कई निर्णय भी लिए गए। लेकिन उस वक्त ड्यूटी पर तैनात किसी भी डाक्टर पर कार्रवाई नहीं की गई, जबकि सीसीटीवी देखने पर यह स्पष्ट भी हुआ कि उस वक्त ड्यूटी पर न तो एसओडी थे और न ही पीओडी ही। मामले को रफा-दफा कर दिया गया।

25 सितंबर : जेएलएनएमसीएच - अस्पताल के आब्स गायनी विभाग में सोनी कुमारी को खून की जरुरत नहीं थी। फिर भी दलालों ने खून की आवश्यकता बताकर एक यूनिट की कीमत साढ़े पांच हजार रुपये में तय की। सुल्तानगंज के दो दलाल खून लेने के लिए ब्लड बैंक में आए, लेकिन डोनर कार्ड फर्जी मिला। एक दलाल मौके से फरार हो गया। पकड़े गए दलाल ने कहा कि भागलपुर के ही जयराम ने उसे बुलाया था। उसका आधार कार्ड लेकर छोड़ दिया गया। हालांकि अब खून लेने के नियम में परिवर्तन किया गया, लेकिन इस तरह के और कई मामले सामने आ चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.