Chhath 2020 : नहाय खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू, रवि योग बना रहा विशेष शुभ, जानिए...
Chhath 2020 आज से छठ महापर्व शुरू हो रहा है। यह चार दिवसीय पर्व है। शुक्रवार और शनिवार को भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। नहाय खाय में कद्दू खरना में रसिया और सूप में ठेकुआ आदि महत्वपूर्ण प्रसाद हैं। सूर्य देव और षष्ठी देवी की पूजा होती है।
भागलपुर, जेएनएन। लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ बुधवार से नहाय खाय के साथ आरंभ हो गया। छठ व्रत में सूर्य देव के साथ माता षष्ठी की पूजा अर्चना किया जाता है।
शुभ योग छठ को बना रहे विशेष फल दाई
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय रवियोग से हो रहा है। सूर्य को अघ्र्य द्विपुष्कर योग में दिया जाएगा। इस योग में पूजा करने से परिवार में सुख, शांति, धन, समृद्धि बनी रहती है। ज्योतिषाचार्य पं. सचिन कुमार दूबे की मानें तो शुभ योग छठ को विशेष शुभ फल दाई बना रहा है।
षष्ठी देवी को अर्पित किया जाता है प्रसाद
बुधवार को नहाय खाय के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल का भात पवित्रता के साथ बनाकर भगवान को अर्पण किया जाता है। फिर व्रती के साथ परिवार के सभी लोग ग्रहण करते हैं। 19 नवंबर की शाम खरना के लिए व्रती स्नान कर नया चावल और नया गुड़ से रसिया बनाते हैं। चक्की का पीसा आटा से रोटी बनाई जाती है। रात में प्रसाद षष्ठी देवी को अर्पित कर व्रती ग्रहण करती है। फिर सभी लोग प्रसाद खाते हैं। कई जगहों पर वितरण भी किया जाता है।
मिट़टी के चूल्हें पर तैयार किया जाता है प्रसाद
डाला व सूप का मुख्य प्रसाद ठेकुआ है। गेहूं का आटा, गुड़ और देशी घी से बनाया जाता है। प्रसाद को मिट्टी के चुल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर पकाया जाता है। हालांकि बदलते समय में लोग अब गैस चुल्हे पर बहुत घरों में प्रसाद बनाया जाता है। ठेकुआ के अलावा सूप में स्थानीय स्तर पर मिलने वाले फल और औषधीय गुणों वाले वनस्पतियों को दिया जाता है।
कोरोना को लेकर घर पर छठ करना बेहतर
कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए घर पर ही छठ करना बेहतर है। श्रद्धा भक्ति से घर के पवित्र स्थान पर अपने परिवार के साथ छठ पूजा करने का समय है। सरकार ने छठ को लेकर गाइड लाइन जारी किया है। गाइड लाइन में भी छठ घर में करने की बात कही गई है। छठ घाटों पर भीड़ नहीं लगे इसका प्रयास करनी है। ताकि कोरोना पर ब्रेक लगे।
चार दिवसीय छठ
18 नवंबर बुधवार नहाय खाय
19 नवंबंर गुरुवार खरना
20 नवंबर शुक्रवार अस्ताचलगामी सूर्य की पहली अघ्र्य
21 नवंबर को उदयाचल सूर्य को दूसरा अघ्र्य के साथ व्रत पूर्ण होगा।