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बोले वैज्ञानिक, चार साल में बदल दें खेतों में फसल, दोगुनी हो जाएगी उपज

तिलकामांझी भागलपुर विश्‍वविद्यालय के टीएनबी कॉलेज में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में वैज्ञानिकों की राय ...

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 03:33 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 03:33 PM (IST)
बोले वैज्ञानिक, चार साल में बदल दें खेतों में फसल, दोगुनी हो जाएगी उपज
बोले वैज्ञानिक, चार साल में बदल दें खेतों में फसल, दोगुनी हो जाएगी उपज

भागलपुर (जेएनएन) । चार साल में खेतों में फसल बदल दें, उपज दोगुनी हो जाएगी। इससे मिट्टी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। लाभदायक जीवाणु फसलों को फायदा पहुंचाते हैं। ये बातें टीएनबी कॉलेज में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में वैज्ञानिकों ने कही।

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पेराडेनियां विश्वविद्यालय कोलंबो की प्रो. दिप्ती यकानडवाला ने जैव प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित नई वेरायटी और फसलों में होने वाली विभिन्न बीमारियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर से खेतों की मिट्टी अम्लीय हो जाती है। जबकि फसलों के लिए क्षारीय मिट्टी फायदेमंद है। खेतों में कंपोस्ट डालने से फसलों के लिए लाभदायक जीवाणु मर जाते हैं। किसानों को यह पता नहीं चल पाता है कि किस तरह का कंपोस्ट कौन सी मिट्टी के लिए फायदेमंद है। एक ही फसल खेत में बोने से मिट्टी की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। मिट्टी में रोग बढ़ता जाएगा। फायदेमंद जीवाणु मरने लगते हैं। फसल के बदलने से खतरनाक जीवाणु मर जाते हैं, फायदेमंद जीवाणु की संख्या बढ़ जाती है। फसल कटने के बाद मिट्टी की खोदाई एक फीट से अधिक करनी चाहिए, ताकि उपज में वृद्धि हो सके।

कर्नाटक विश्वविद्यालय के प्रो. कृष्णनेंदू आचार्या ने कहा कि पौधों में मौजूद उत्तम जीन को पहचान कर पोषक तत्वों में वृद्धि किया जा सकता है, ताकि बढ़ती जनसंख्या को समुचित भोजन दिया जा सके। समय-समय पर किसानों को ट्रेनिंग और वर्कशॉप के माध्यम से शोध से होने वाले विकास की मिलनी चाहिए। एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय साबोय के प्रो. बीबी मिश्र ने कहा कि फसल लगाने से पहले किसानों को मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए। आयोजन सचिव डॉ. एचके चौरसिया ने कहा कि प्रयोगशाला में होने वाले उत्कृष्ट शोध खेतों तक नहीं पहुंच पाते हैं। जिसके कारण किसानों को आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है। सरकार को इस प्रकार के शैक्षणिक सम्मेलन पर अतिरिक्त अनुदान आवंटन करे, ताकि शोध पर विशेष मिले।  इस अवसर पर तिमांविवि के कुलपति प्रो. डॉ. नलिनि कांत झा मौजूद थे। 


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