CBSE Board 12th Result : पढ़ाई का बदला ट्रेंड, बूम होने लगे रिजल्ट, जानिए... कैसे बेहतर आए रिजल्ट
CBSE Board 12th Result इस बार नंबर छात्रों के परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के आधार पर ही दिए गए हैं। कोरोना के कारण दो से तीन विषयों की परीक्षा नहीं हो सकी थी
भागलपुर, जेएनएन। इस बार सीबीएसई बोर्ड 12वीं के रिजल्ट ने सभी को चौंका दिया। जिले में साढ़े तीन हजार बच्चे परीक्षा में बैठे थे। टॉपर्स और सेकंड की बात छोड़ दे तो जिले में 90 से 95 फीसद के बीच अंक दो हजार से ज्यादा बच्चों को आए हैं। हालांकि, इस बार ओवर ऑल छात्रों का प्रदर्शन बेहतर रहा। लेकिन, अंक फीसद के में 2019 का परिणाम 2020 की अपेक्षा में बेहतर था। इस बार 97.6 रहा, जबकि 2019 में 98 फीसद तक नंबर गया और पिछले साल भी ओवर ऑल 90 फीसद से प्राप्तांक लाने वाले बच्चों की संख्या डेढ़ हजार थी। कुल मिलाकर इस साल 12 वीं का रिजल्ट 5.40 फीसद ज्यादा रहा। उमदा प्रदर्शन के पीछे पैटर्न में बदलाव और पढ़ाई को लेकर बदलता ट्रेंड भी एक वजह है।
प्रदर्शन के आधार पर दिए गए नंबर, हुआ फायदा
सीबीएसई से जुड़े अधिकारी ने बताया कि इस बार नंबर छात्रों के परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के आधार पर ही दिए गए हैं। कोरोना के कारण दो से तीन विषयों की परीक्षा नहीं हो सकी थी। 15 मार्च से 30 मार्च के बीच 12वीं की परीक्षा थी। इस बीच लॉकडाउन लग गया और परीक्षाएं स्थगित हो गई। लॉकडाउन समाप्त होने का इंतजार होने लगा, लेकिन लंबा अवधि बढ़ जाने के कारण जिन छात्रों ने तीन से ज्यादा विषयों की परीक्षाएं दी थी, उन्हेंं जो विषयों में सबसे ज्यादा अंक मिले हैं उसी को आधार बनाकर बचे पेपर में अंक दिए गए।
बदले पैटर्न से बहुत हुई सहूलियत
इस बार 12वीं के छात्र-छात्राओं को इंटरनल असेसमेंट को ज्यादा महत्व दिए गया दिया। सीबीएसई के शिक्षक रामानुज सिंह की मानें तो वस्तुनिष्ठ प्रश्न से छात्रों को काफी सहूलियत हुई। छात्रों को थ्योरी की तरह ही प्रैक्टिकल परीक्षा भी सेंटर्स पर देना पड़ा। अब तक प्रैक्टिकल परीक्षाएं होम सेंटर (स्टूडेंट के अपने स्कूल जहां से वह पढ़ाई कर रहा है) पर ही होती थीं। किसी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए बोर्ड ने यह फैसला किया है। इसका भी असर छात्रों के रिजल्ट पर पड़ा।
मानक तय होने का रिजल्ट पर असर
सीबीएसई कोर्डिनेटर-पूर्वी सर्किल केके सिन्हा ने कहा कि इस बार का रिजल्ट हर सालों से बढिय़ा रहा है। इसके पीछे स्टैंडर्ड पैटर्न और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है। उन्होंने बताया कि सीबीएसई शिक्षक को लगातार ट्रेनिंग और प्रशिक्षण दिया जाता है। बच्चे नई चीजें ग्रहण कर रहे हैं। दसवीं के बाद ग्याहरवीं में छह महीने पर सिलेबस टेस्ट होने का फायदा बच्चों के 12 वीं रिजल्ट और करियर पर पड़ता है। बच्चों और शिक्षकों को पाठ्यक्रम के प्रति बराबर प्रेरित करना भी बेहतर परिणाम का एक हिस्सा है। बच्चों की लेखनी क्षमता में वृद्धि हुई है।
टॉपर्स ने कहा, वस्तुनिष्ठ से फायदा
इस बार का जिला टॉपर्स गुंजन धानुका ने कहा कि 12 वीं के छात्र 10वीं के बाद से ही इंजीनियङ्क्षरग, मेडिकल और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना शुरू कर देते हैं। इन परीक्षाओं में ज्यादातर प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं, इसका फायदा छात्रों को हुआ। एक नंबर वाले प्रश्न में नंबर कम कटने की संभावना होती है। वहीं, सेकंड टॉपर न95 फीसद अंक लाने वाली नुशिन निगार ने भी कहा कि वस्तुनिष्ठ प्रश्न 40 नंबर के थे। इससे छात्र-छात्राओं को फायदा हुआ।
बिहार बोर्ड में भी अव्वल होगा परिणाम
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि अगली बार से बिहार बोर्ड का परिणाम भी बेहतर होगा। नौवीं से बारहवीं तक के शिक्षकों को विशेष काउंसलिंग किए जाएंगे। शिक्षा की गुणवत्ता में पिछले कई सालों से सुधार हुआ है और सुधार होने की जरूरत है। अब परीक्षा में नकल नहीं होता है, इस कारण बिहार बोर्ड के छात्र भी परिणाम को लेकर चिंतित है। बता दें कि 2020 में मैट्रिक का रिजल्ट बेहतर नहीं रहा था। एक भी छात्र स्टेट की टॉप टेन सूची में जगह नहीं बना सके थे।
-वर्ष 2018 में 2800 बच्चों ने दी परीक्षा 97 फीसद नंबर आए
-वर्ष 2019 में 3000 बच्चों ने दी परीक्षा 95 से 98 माक्र्स आए
-वर्ष 2020 में 3500 बच्चों ने दी परीक्षा 97.6 फीसद आया नंबर