कम पहुंच रहे खरीदार, बेजार हुआ आम का बाजार
आम के गढ़ पर इस बार कोरोना वायरस का जबरदस्त अटैक हुआ है। उत्पादन कम और लॉकडाउन में वाहनों के नहीं चलने से जिले में आम का कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ।
भागलपुर। आम के गढ़ पर इस बार कोरोना वायरस का जबरदस्त अटैक हुआ है। उत्पादन कम और लॉकडाउन में वाहनों के नहीं चलने से जिले में आम का कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। आम के व्यापार को काफी नुकसान पहुंचा है। लोग घर से बाहर निकल रहे हैं, लेकिन खरीदारी कम रहे हैं, जो आम विक्रेताओं की परेशानी की बड़ी वजह है।
शहरी क्षेत्र में एसएसपी कार्यालय से लेकर कोर्ट तक, खलीफाबाग से वेरायटी चौक, तिलकामांझी इलाके में सड़क किनारे चार सौ लोग आम बेचते हैं। इस बार इसका बाजार नहीं चढ़ सका। दुकानदारों की मानें तो अबकी एक महीने बाद बाजार में आम आया। मई तक लॉकडाउन होने के कारण दुकानें नहीं लग सकीं। अनलॉक-एक में आम की दुकानें लगीं।
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आम की गुणवत्ता सही नहीं
आम उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष और मैंगो मेन के नाम से विख्यात अशोक चौधरी ने बताया कि जिले में औसतन हर साल डेढ़ से दो लाख टन आम का उत्पादन होता है। इस बार यह आंकड़ा 85 हजार टन तक ही पहुंच सका। इस बार फरवरी से ही मौसम में उतार-चढ़ाव रहा। धूप और बीच-बीच में बरसात के कारण फल तक पर असर पड़ा है। चीत्ती होने के कारण बड़े पैमाने में आम सड़ भी गए। बारिश की वजह से कीड़े का प्रकोप भी आम पर पड़ा। वाहन नहीं चलने से यहां से दूसरे शहरों में आम की आपूर्ति नहीं हो सकी।
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बिहार के अलावा कई राज्यों में होती थी आपूर्ति
मैंगो मेन ने कहा कि जर्दालू और गुलाबखास यहां का खास आम है। मालदह और बंबई आम भी अन्य राज्यों में भेजी जाती थी। इस बार वाहन और ट्रेन नहीं चलने से बाहर नहीं भेजा गया।
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-पिछले साल हर दिन डेढ़ से दो क्विंटल आम बेचते थे। इस बार एक से डेढ़ मन भी आम नहीं बिक रहा। लॉकडाउन और कोरोना के कारण ग्राहक कम संख्या में आम की खरीदारी कर रहे हैं।
-सफी आलम, आम विक्रेता।
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-इस बार आम का कारोबार खास नहीं रहा। आठ सालों से आम बेच रहा हूं। ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी। आम रोजना बच जाने के कारण सड़ जा रहे हैं, जिसे फेंकना पड़ रहा है।
-राजू कुमार, आम विक्रेता।