भागलपुर में पांच सौ करोड़ का सिल्क कारोबार प्रभावित
लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 से कपड़ा उद्योग को थोड़ी उम्मीद जगी थी लेकिन कच्चे माल की कमी ने उस पर पानी फेर दिया है।
भागलपुर [जितेंद्र]। लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 से कपड़ा उद्योग को थोड़ी उम्मीद जगी थी, लेकिन कच्चे माल की कमी ने व्यवसायी व बुनकरों की कमर तोड़ दी है। दूसरी ओर मांग में भी कमी आ गई है। सिल्क सिटी भागलपुर में करीब पांच सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। तीन माह से जिले के 25 हजार पावरलूम, हैंडलूम व रंगाई केंद्र ठप हैं। इससे जुड़े 80 हजार से अधिक बुनकरों की हालत खराब है। यहां से मुंबई, दिल्ली व कोलकाता की मंडियों में कपड़े भेजे जाते हैं। इन शहरों से भी आर्डर नहीं मिलने के कारण बुनकरों का करीब तीन सौ करोड़ रुपये का उत्पाद फंसा हुआ है।
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हवाई सेवा शुरू होने का इंतजार
सिल्क सिटी के बुनकरों को रेल व हवाई सेवाओं के शुरू होने का इंतजार है। अभी विदेशों में भी कपड़े का निर्यात नहीं हो रहा है, जबकि भागलपुर का सिल्क व्यवसाय अमेरिका, रूस, जापान, मलेशिया, आस्ट्रेलिया आदि के बाजारों पर भी निर्भर है। हवाई सेवा बंद होने से चीन और कोरिया से धागे की आपूर्ति नहीं हो रही है।
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सरकारी दफ्तरों में नहीं लिया कपड़ा
लॉकडाउन से परेशान बुनकरों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने को केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने मुख्यमंत्री से बुनकरों द्वारा तैयार कपड़ों की खरीदारी का आग्रह किया था, लेकिन कहीं से कोई आर्डर नहीं मिला। भागलपुर में हैंडलूम पर तैयार कपड़ों की मांग दिल्ली के सिल्क फेब में होती है। यहां से भी मांग नहीं हो रही है।
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लॉकडाउन में करीब 500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। पूंजी फंस गई। बुनकरों को मजदूरी देने की समस्या है। दिल्ली व मुंबई का बाजार खुला नहीं है। महाजन राशि नहीं देना चाहते हैं। इससे बुनकर माल तैयार करने व भेजने से डर रहे हैं।
- इबरार अंसारी, भागलपुर क्षेत्रीय बुनकर हस्तकरघा सहयोग संघ
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बाजार में धागा उपलब्ध नहीं है। इससे कपड़ा उत्पादन प्रभावित हुआ है। यहां से कपड़ा पटना, मुंबई, दिल्ली आदि भेजते थे। व्यवसायी लेने को तैयार नहीं है। ट्रांसपोर्ट में माल फंसा हुआ है। ऐसे में सरकार के स्तर से मास्क व गमछा आदि की खरीदारी की जाए तो कुछ राहत मिलेगी।
- अलीम अंसारी, सदस्य, बिहार बुनकर कल्याण समिति
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अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा व रेल सेवा शुरू होने पर ही सिल्क उद्योग को राहत मिलेगी। अभी तैयार कपड़े के खरीदार नहीं हैं। धागे की आपूर्ति बंद है। कूरियर सर्विस भी बंद होने से जहां-तहां माल फंसा हुआ है। लॉकडाउन से विदेशी बाजार पर भी असर पड़ा है।
- जियाउर रहमान, एक्सपोर्टर