BSEB, Bihar Board Result Topper : दो साल बाद भागलपुर ने फिर बनाई साख, टॉप टेन में यहां के पांच बच्चों ने जगह बनाई, देखिए लिस्ट
BSEB Bihar Board Result Topper दो साल के बाद मैट्रिक के छात्रों ने दमखम दिखाया है। इस बार यहां के पांच छात्र टॉप 10 में हैं। इससे पहले लगातार दो साल यहां के छात्रोंं का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। BSEB, Bihar Board Result Topper : अंग प्रदेश को शिक्षा का हब माना जाता है, लेकिन दो वर्ष तक लगातार जिले का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। मैट्रिक की परीक्षा में 2018 के बाद 2020 तक एक भी परीक्षार्थी का चयन राज्य के टॉप-टेन सूची में नहीं हो सका था। 2021 में यहां के परीक्षार्थी अपनी खोई साख को फिर से पाने में सफल रहे। इस बार राज्य के टॉप-टेन की सूची में भागलपुर से पांच परीक्षार्थियों का नाम शामिल है। भागलपुर का नाम सफल छात्र-छात्राओंने फिर से ऊंचा कर दिया है। कोरोना और लॉकडाउन के बाद भी जिले का रिजल्ट काफी बेहतर रहा।
शिक्षा विभाग भी इस सफलता से काफी गदगद है। इस बार परिणाम में भागलपुर के छात्रों की सबसे अच्छी रैंक है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय मुक्तापुर गोराडीह के दिवाकर दिव्यांशु ने 477 अंक लाकर राज्य में आठवीं रैंक लाया है। केएल हाई स्कूल नारायणपुर की विभा कुमारी को 476 अंक मिले हैं और सूबे में उसकी नौंवीं रैंक आई है। इसके अलावा राजकीय ओबीसी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्रा अर्पण ङ्क्षसह को 475 अंक मिले हैं, उत्क्रमित मध्य विद्यालय कलबीगंज के मनीष कुमार और उत्क्रमित मध्य विद्यालय इंग्लिश सबौर के राहुल कुमार को भी 475 अंक मिले हैं। तीनों बच्चे राज्य के टॉप टेन की 10वीं सूची में है।
साक्षात्कार के लिए सभी गए थे बोर्ड
भागलपुर से एक दर्जन परीक्षार्थियों को साक्षात्कार के लिए पटना बुलाया था। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से बेहतर अंक लाने को लेकर पूछताछ भी हुई थी। साक्षात्कार के बाद सभी बच्चे खुशी-खुशी अपने-अपने घर लौटे थे। इधर, बेहतर अंक लाने और राज्य स्तर पर उमदा प्रदर्शन करने पर अभिभावक काफी खुश हैं। सभी अभिभावकों ने उज्जवल भविष्य की कामना की।
नींव हो रहा था कमजोर
भागलपुर शिक्षा का हब कहा जाता है, लेकिन पिछले दो वर्षों से मैट्रिक परीक्षा में छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन से साफ हो गया था कि जिला शिक्षा में पिछडऩे लगा है। मैट्रिक से ही छात्र-छात्राओं की करियर की शुरुआत होती है। उच्च शिक्षा की नींव मैट्रिक को ही मानी जाती है। ऐसे में जिले का स्टेट लेवल पर प्रदर्शन बेहतर नहीं होना अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा कर रहा था, लेकिन इस पर सोमवार को ब्रेक लग गया। इससे जिले के सरकारी स्कूलों के शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे थे। जिले से पांच छात्रों का चयन स्टेट सूची में होने के बाद यह मिथक टूट गया।