झारखंड से बिहार आ गया नीलगाय, जमुई में ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला
झारखंड से आए नीलगाय को जमुई में ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला। उसने किसानों की फसल को काफी क्षति पहुंचा था। इसके बाद ग्रामीण गुस्से में आ गए सभी ने घेरकर उसे मार डाला। लेकिन ग्रामीणों को इसकी हत्या नहीं करनी चाहिए।

संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई)। चकाई थाना क्षेत्र के दक्षिणी इलाके के ग्रामीण इन दिनों नीलगाय से काफी परेशान हैं। आए दिन झारखंड की लगी सीमा से भटककर नील गायों का झुंड बिहार के चकाई थाना क्षेत्र के सीमावर्ती गांव में आकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे इलाके के लोगों को अपनी फसलों को बचाने के लिए रतजग्गा करना पड़ रहा है।
इसी क्रम में बुधवार को नील गायों का एक झुंड झारखंड के बेंगाबाद से भटक कर चकाई थाना के बाड़ाडीह गांव आ गया और फसलों को नुकसान पहुंचाने लगा। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार नील गायों के झुंड ने आलू और सरसों की फसलों को नुकसान पहुंचाना प्रारंभ किया। जिसके बाद ग्रामीणों ने नील गायों को खदेडऩा शुरू किया।
इस दौरान एक नीलगाय को ग्रामीणों ने पकड़ लिया और पीट-पीटकर मार डाला, जबकि अन्य नील गाय झारखंड की सीमा से सटे घने जंगलों में भाग निकले।
पिटाई के बाद नीलगाय की मौत हो जाने पर ग्रामीणों ने नीलगाय के शव को नदी किनारे दफना दिया। इस संदर्भ में दुलमपुर फोरेस्ट एरिया के वनपाल उत्तम कुमार ने बताया कि नील गायों के आने की सूचना मिली थी। जिसके बाद वन विभाग के पुलिसकर्मियों को भेजा गया था। नील गायों को पीटकर मारने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
शंभूगंज में नीलगाय का झुंड रबी को कर रहा बर्बाद
संवाद सूत्र, शंभुगंज (बांका)। नीलगाय अब बांका में भी परेशानी का कारण बन गया है। नीलगाय का भटका हुआ झुंड पिछले कुछ दिनों से शंभुगंज आसपास गांवों में दिख रहा है। इसने रबी गेहूं, सरसों, चना आदि की फसल को काफी नुकसान पहुंचा दिया है। खासकर कर्णपुर, कुर्मा, करसोप, सहदेवपुर, बिरनौधा गांव के दर्जनों किसान नीलगाय के आंतक से जूझ रहे हैं। किसान अजय मंडल, दिलीप मंडल, विभाष कुमार आदि ने बताया कि काफी मेहनत और खर्च कर गेंहू, सरसों रबी फसलों की बोआई की है। खेतों में फसल भी लहलहा रही है , लेकिन पिछले एक सप्ताह से झुंड का झुंड बहियार पहुंच रहा है। रात भर खेतों में नीलगाय का आतंक रहता है। कई किसानों ने बताया कि नीलगाय के आतंक से फसल बचाने के लिए किसान रतजगा करने को विवश हैं। बताया कि इसकी शिकायत कई बार कृषि विभाग को किया, लेकिन कोई दिलचस्पी नहीं ली गई। वन विभाग को सूचित करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस संबंध में प्रखंड कृषि समन्वयक राजेश रंजन ने बताया कि यह वन विभाग का क्षेत्राधिकार है। वे अपने स्तर से इसकी सूचना वन विभाग को दे रहे हैं।
Edited By Dilip Kumar Shukla