खून की दलाली : इस तरह रक्तदान शिविर लगाने वाली संस्थाएं करती हैं खेल, डोनेशन कार्ड बन रहा हथियार
रक्तदान को महादान माना जाता है लेकिन यहां उस उसे कुछ दलाल बदनाम कर रहे हैं। ये लोग शिविर लगाकर खून जमा करते हैं लेकिन बाद में उसे मनमाने पैसे पर निजी अस्पताल संचालकों के हाथ बेच देते हैं।
पूर्णिया [राजीव कुमार]। रक्तदान शिविर में भाग लेने वाले दाता यह सोचकर रक्त दान करते हैं उनके खून से किसी जरूरतमंद की जान बचेगी, लेकिन उन्हें यह जानकर आश्चर्य होगा की पूर्णिया के रक्तदान शिविरों में जो रक्त जमा होता है, उसका 50 फीसद ही रेडक्रॉस एवं सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में जमा होता है। शेष 50 फीसद खून पूर्णिया के दो निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक में पहुंच जा रहा है, जहां किसी जरूरतमंद को शायद ही बिना किसी शुल्क के खून मिल पाता हो। खास कर पूर्णिया में यह बात पूरी तरह से बेमानी साबित हो रही है।
यहां लोगों द्वारा हर साल आयोजित होने वालों रक्तदान शिविरों में बढ़चढ़कर भले ही भाग लिया जाता है, मगर शिविरों में संग्रहित किए गए रक्त की दलाली हो रही है। रक्तदान शिविरों में जुटाए गए खून को कई निजी अस्पतालों के ब्लड बैंकों में पहुंचाया जा रहा है, जबकि यहां आयोजित होने वाले सभी रक्तदान शिविरों में रेडक्रॉस एवं सदर अस्पताल ब्लड बैंक के कर्मी ब्लड जुटाने के लिए अपने पूरे संसाधन का उपयोग करते हैं।
युवा जागृति मंच आयोजित करता है रक्तदान शिविर
पूर्णिया में औसतन हर दो-तीन महीने पर युवा जागृति मंच द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। यही वह संस्था है जिसके द्वारा सबसे अधिक रक्त का संग्रह रक्तदान शिविरों में किया जाता है। 2020 में इस संस्था द्वारा फरवरी, अप्रैल, अगस्त एवं नवंबर में रक्तदान शिविर लगाया गया। वर्ष 2019 में फरवरी, मई अगस्त एवं नवंबर में रक्तदान शिविर लगाया गया। 29 नवंबर 2020 को जो रक्तदान शिविर लगाया गया उसमें 65 यूनिट ब्लड संग्रह किया गया। इसमें 25 यूनिट ब्लड रेडक्रास एवं 19 यूनिट ब्लड सदर अस्पताल को दिया गया। इसके अलावा 21 यूनिट ब्लड निजी अस्पतालों को दे दिया गया। 23 अगस्त को आयोजित रक्तदान शिविर में 86 यूनिट एवं 24 मई के रक्तदान शिविर में 101 यूनिट खून इकट्ठा किया गया।
रेडक्रॉस एवं सदर अस्पताल में आए खून मरीजों को मिलते हैं आसानी से
रक्तदान शिविर के बाद जो ब्लड रेडक्रास एवं सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में जमा होता है वह मरीजों को आसानी से उपलब्ध हो जाता है। खासकर थैलीसिमिया के मरीजों को यहां से खून मिलने में काफी आसानी होती है। खून की दलाली मामले में सबसे बड़ा पहलू यह भी है की जो खून रेडक्रास एवं सदर अस्पताल के ब्लड बैंक को दिया जाता है उसके बाद डेनोशन कार्ड तत्काल मरीजों को देकर वहां से खून उपलब्ध करा दिया जाता है। 2020 में रेडक्रास के 24 यूनिट, 52 यूनिट 33 यूनिट एवं 25 यूनिट खून रक्तदान शिविर के माध्यम से उपलब्ध कराया गया। जबकि सदर अस्पताल को 40, 34, 56 एवं 45 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया गया।
डोनेशन कार्ड से भी होता है खेल
रक्तदान शिविर आयोजित करने वाली संस्था रक्त दाता को डोनेशन कार्ड भी नहीं देती है। उनका डोनेशन कार्ड यह कहकर रख लिया जाता है, इससे किसी जरूरी मरीज को खून उपलब्ध हो जाएगा। मगर इस डोनेशन कार्ड के सहारे फिर खून की दलाली का खेल खेला जाता है।
रेडक्रॉस के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. ओपी सिंह ने कहा कि निजी संस्थानों द्वारा लगाए जाने वाले रक्तदान शिविर में लोग स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं। संग्रहित रक्त सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक एवं रेडक्रॉस ब्लड बैंक को दिया जाता है, मगर कुछ निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक को भी संस्थाएं रक्त की आपूर्ति कर रही हैं।
युवा जागृति मंच के संस्थापक कार्तिक चौधरी ने कहा कि मेरी संस्था युवा जागृति मंच द्वारा पूर्णिया में लगातार कई वर्षों से रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में रक्तदाताओं द्वारा जो रक्तदान किया जा रहा है उसमें से रेडक्रॉस एवं सदर अस्पताल के अलावा निजी अस्पताल मैक्स सेवन एवं किरण अस्पताल के ब्लड बैंक को रक्त की आपूर्ति की जाती है।
सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने कहा कि निजी अस्पतालों को रक्तदान शिविर के ब्लड देने की जानकारी उन्हें भी मिली है। अगर किसी कैंप लगाने वाली संस्था द्वारा निजी अस्पतालों को कैंप में जुटाया रक्त उपलब्ध कराया जाएगा तो वहां रेडक्रास या सदर अस्पताल के किसी संसाधन का उपयोग कैंप में नहीं किया जाएगा।