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काले गेहूं की रोटी खाएं... शुगर, कैंसर और मोटापा रहेगा दूर, जानिए... इसकी विशेषताएं Bhagalpur News

काला गेहूं में जिंक आयरन और एंटी ऑक्सीडेंट की अधिकता होने से यह ज्यादा पौष्टिक है। इसका औषधीय गुण उक्त बीमारियों के मरीजों के लिए रामबाण साबित होगा।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 09:55 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 09:55 AM (IST)
काले गेहूं की रोटी खाएं... शुगर, कैंसर और मोटापा रहेगा दूर, जानिए... इसकी विशेषताएं Bhagalpur News
काले गेहूं की रोटी खाएं... शुगर, कैंसर और मोटापा रहेगा दूर, जानिए... इसकी विशेषताएं Bhagalpur News

भागलपुर [अमरेंद्र कुमार तिवारी]। सेहत की चिंता करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। शुगर, हर्ट, कैंसर, मोटापा और तनाव जैसी बीमारियों से बचाने वाला काला गेहूं अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रक्षेत्र में भी उपजाया जाएगा। यह गेहूं सामान्य गेहूं से कई गुने फायदेमंद है। काला गेहूं में जिंक, आयरन और एंटी ऑक्सीडेंट की अधिकता होने से यह ज्यादा पौष्टिक है। इसका औषधीय गुण उक्त बीमारियों के मरीजों के लिए रामबाण साबित होगा। इस गेहूं के आटे की रोटी खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। यह आटा बाजरे के आटे की तरह मटमैला होता है लेकिन इसकी रोटी पौष्टिकता से भरपूर है।

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गेहूं क्यों हो जाता है काला

एंथोसायनिन की मात्रा जहां सामान्य गेहूं में पांच पीपीएम पाई जाती है वहीं काला गेहूं में इसकी मात्रा सौ से दौ सौ पीपीएम तक होता है। जिस वजह से इसका रंग काला हो जाता है। जबकि बोआई के बाद जब फसल में बाली निकलती है तो वह हरा हो जाता है। परिपक्वता की स्थिति में बाली का रंग भूरा होते ही गेहूं का रंग काला दिखाई देने लगता है।

बेहतर परिणाम आने पर होगा मल्टी लोकेशन ट्रायल

यहां की जलवायु और मिट्टी में काला गेहूं के उत्पादन का औषधीय गुणों के साथ बेहतर परिणाम प्राप्त होने पर इसका मल्टी लोकेशन ट्रायल किया जाएगा। यहां उत्पादित बीज को विवि के अधीन सभी कृषि विज्ञान केंद्र के प्रायोगिक क्षेत्र में लगाए जाएंगे। कुछ किसानों को भी बीज उपलब्ध कराया जाएगा। सभी लोकेशन पर इसके गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता का मूल्यांकन होगा।

काले गेहूं की खेती से किसानों की दोगुनी होगी आय

काला गेहूं पर शोध का बेहतर परिणाम आने पर राज्य में इसकी खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों को बीएयू बीज भी उपलब्ध कराएगा। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण बाजार में इसकी मांग भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। जिससे किसानों की आय दोगुनी करने में भी सहायक सिद्ध होगा।

कुछ जिलों में किसान कर रहे खेती

राज्य के दरभंगा एवं मुजफ्फरपुर में कुछ प्रगतिशील किसानों ने पंजाब के रिसर्च सेंटर से काला गेहूं का बीज मंगवाकर प्रयोग के रूप में खेती शुरू की है। उनकी उत्सुकता को ध्यान में रखते हुए ही बीएयू ने काला गेहूं पर यहां के परिपेक्ष्य में शोध शुरू करने की योजना बनाई है।

डॉ. अजय कुमार सिंह (कुलपति बीएयू सबौर) ने कहा कि काला गेहूं का बीज राजस्थान से लाया गया है। यहां की जलवायु में इसकी उपज क्षमता क्या होगी तथा इसमें कितनी मात्रा में जिंक, आयरन और एंथोसायनिन विद्यमान है, इस पर यहां के वैज्ञानिक शोध करेंगे। शोध का बेहतर परिणाम आने पर राज्य में काले गेहूं की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके।


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