पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगा परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं की जन्मभूमि, सुपौल जिला प्रशासन भेजेगा प्रस्ताव
विख्यात सिद्ध लोक संत व परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं की जन्मभूमि पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगा। जिला प्रशासन ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजने की कवायद शुरू कर दी है। इससे यहां पर दर्शन के लिए आनेवाले लोगों काे...
जागरण संवाददाता, सुपौल। अष्टसिद्धि प्राप्त, विख्यात सिद्ध लोक संत व परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं की जन्मभूमि पर्यटकीय सुविधाओं से लैस होगी। परसरमा स्थित जन्मभूमि में पर्यटकीय सुविधाओं के विकास के लिए जिला प्रशासन ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार किया है। इसकी स्वीकृति एवं क्रियान्वयन के लिए इसे पर्यटन विभाग को शीघ्र भेजा जाएगा। उपेक्षित पड़ी जन्मभूमि के पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने की अब आस जगी है। इससे जहां दर्शन के लिए यहां आने वाले लोगों को इसका लाभ मिलेगा वहीं रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
लोक संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं का जन्म 1793 ई. में परसरमा के पं. बच्चा झा के घर हुआ था। वे उपनयन संस्कार के बाद पं. रत्ते झा के पास ज्योतिष शास्त्र अध्ययन के लिए गए। उनकी अभिलाषा देख पं. रत्ते झा ने उन्हें तंत्र शास्त्र की शिक्षा एवं साधना पर अग्रसर होने में मदद की। उन्होंने अपने गुरु की कृपा से कुछ समय में ही अच्छी योग्यता पा ली। कुछ समय बाद माता-पिता ने उनकी शादी करा दी। उनकी पांचवीं पीढ़ी आज भी परसरमा में है।
वे अपनी सिद्धि के लिए प्रसिद्ध थे। मिथिलांचल के लोगों में उनके प्रति अपार श्रद्धा है। उनकी कुटिया गांव में है जिसे गोसाईं कुटी के नाम से जाना जाता है। उनको समाधि लिए काफी दिन बीत गए लेकिन आज भी उन्हें भोग लगाया जाता है। रात में उनके आराम करने के लिए बिछावन लगाया जाता है। कुटी में उनका चुट्टा व छड़ी आज भी सुरक्षित है। उनके खराऊं के अवशेष भी कुटी में हैं।
गोसाईंजी की जन्मभूमि, परसरमा में पर्यटकीय सुविधाओं के विकास के लिए पर्यटन विभाग ने सुपौल जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब करने के बाद एसडीएम सुपौल अनंत कुमार ने लक्ष्मीनाथ गोसाईं जन्मभूमि, परसरमा के मुख्य संरक्षक, भगवानजी मिश्र, मुखिया परसरमा रिंकु शेखावत सहित कई स्थानीय गणमान्य लोगों से वार्ता कर विकास कार्य के लिए चिह्नित भूमि का पूर्ण ब्यौरा देते हुए रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है। स्थानीय विधायक सह राज्य के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि लोक संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं की जन्मभूमि में पर्यटकीय सुविधाओं का विकास होना बड़ी बात होगी।
लक्ष्मीनाथ गोसाईं की कुटी फिलहाल जहां पर स्थित है वह वहां से उत्तर थी। कुटी के पुजारी शिवशंकर राय का कहना है कि 1934 के भूकंप में वह कुटी ध्वस्त हो गई। उस कुटी का अवशेष आज भी जमीन के तले है। बाद में पश्चिमी भाग में कुटी बनाई गई। उन्होंने बताया कि कुटी के पश्चिम भी एक पोखर था, जो कोसी की बाढ़ के कारण जमींदोज हो गया।