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Birth anniversary of Dr. Rajendra Prasad : बिहपुर का स्‍वराज आश्रम, जहां अंग्रेजों की लाठियां राजेंद्र प्रसाद पर बरसी थी

Birth anniversary of Dr. Rajendra Prasad आज तीन दिसंबर को भारत रत्‍न प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंन्‍द्र प्रसाद की जयंती है। इस दिन बिहपुर के स्‍वराज आश्रम को भी याद किया जाता है। यही वह आजादी के दीवानों का आश्रम था जहां डॉ राजेंद्र प्रसाद भी आए थे।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 10:02 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 10:02 PM (IST)
Birth anniversary of Dr. Rajendra Prasad : बिहपुर का स्‍वराज आश्रम, जहां अंग्रेजों की लाठियां राजेंद्र प्रसाद पर बरसी थी
बिहपुर का स्वराज आश्रम, जहां आए थे डॉ राजेंन्‍द्र प्रसाद

भागलपुर [मिथिलेश कुमार]। बिहपुर प्रखंड स्थित स्थित ऐतिहासिक स्वराज आश्रम में देश के आजादी आंदोलन के दौरान स्‍वतंत्रता सेनानियों का जमघट लगता था। इतिहास के जानकार बताते हैं कि बताते हैं कि नमक सत्याग्रह और राष्ट्रीय झंडा फहराने को लेकर यहां अंग्रेजी सरकार ने काफी अत्‍याचार किए थे। नमक सत्याग्रह के दौरान अंग्रेजों की बर्बरता यहां देखने को मिली थी। भागलपुर के जिला मजिस्ट्रेट 31 मई 1930 को एसपी और डीएसपी के साथ आश्रम पर आए। उनके साथ समान्य पुलिस व सैनिक भी काफी संख्या में थे। सभी हथियार लेकर आए थे। इस आश्रम में उस समय कांग्रेस का कार्यालय था। साथ ही यहां खादी भंडार व चरखा संघ का कार्यालय भी था। एक जून को तीसरे पहर नशाबंदी के समर्थन में शराब एवं गांजे की दुकानों पर कार्यकर्ता धरना दे रहे थे। यहां यूरोपीय अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को दुकान पर से हट जाने को कहा, लेकिन कोई नहीं हटे।

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उसके बाद अधिकारियों के आदेश पर पुलिस ने इन लोगों को बुरी तरह से पीटा दिया। हाथों से राष्ट्रीय झंडा छीनकर जला दिया। अंग्रेजों ने खादी भंडार पर कब्जा जमा लिया। सारे कमरे का ताला तोड़कर उससे चरखा, सूत, कपास, खादी के कपड़े आदि को बाहर फेंक दिया। कांग्रेस भवन स्‍वतंत्रता सेनानियों के हाथ से निकल गया।

तभी आनन फानन में एक सभा बुलाई गई। जिसमें सुखदेव चौधरी ने जोशीला भाषण दिया। यह फैसला हुआ कि कांग्रेस कार्यालय पर कब्जा के लिए एक जत्था वहां जाएगा। इसके बाद सभी कांग्रेस भवन की ओर बढऩे लगे। इस बीच अंग्रेजों ने इन लोगों को जमकर पीटा। लेकिन कोई भी नहीं थमे, आगे बढ़ते गए। अगल बगल के गांवों से भी लोगों का जत्था आश्रम की ओर बढऩे लगा। छह जून को कांग्रेस कार्यालय के थोड़ी दूर आम के बागीचे में विशाल सभा हुई। उस दिन भी अंग्रेज अधिकारी चुप नहीं रहे। कुछ सैनिकों के साथ उस सभा में जाकर लोगों को बुरी तरह पीटा। अनेकों लोग घायल हुए। सात जून को पुन: सभा हुई। पुलिस का दमनचक्र चलता रहा। स्थिति बिगड़ती चली गई। जिसकी सूचना पटना पहुंची। जहां से प्रो.अब्दुल बारी, बलदेव सहाय, ज्ञान साहा आदि आठ जून को बिहपुर पहुंचे।

 

नौ जून1930 को बिहपुर पहुंचे थे देशरत्‍न डॉ राजेंद्र प्रसाद

अगले दिन नौ जून को देशरत्‍न डॉ राजेंद्र प्रसाद अपने पटना के सहयोगियों के साथ बिहपुर पहुंचे। नौ जून को तीसरे पहर स्वराज आश्रम से सटे बागीचे में एक आमसभा हुई। सभा में राजेंद्र प्रसाद, प्रो.बारी और मु.आरीफ के भाषण हुए। सभा शाम पांच बजे समाप्त हुई। फिर उसी शाम अंग्रेज एसपी पुलिस बलों को के साथ बिहपुर बाजार (वर्तमान में शहीद गेट) आए। जहां राजेंद्र प्रसाद समेत अन्य लोग भी थे। अंग्रेज अधिकारी और पुलिस ने राजेंन्‍द्र प्रसाद की जमकर पिटाई कर दी। पुलिस की मार से राजेंद्र प्रसाद को बचाने के लिए उनके ऊपर अन्‍य लोग लेट गए, ताकि राजेंद्र प्रसाद को कम चोट लगे। पुलिस ने सभी को पीटा। इसी दौरान अंग्रेजों ने राजेंद्र प्रसाद को बिहपुर रेलथाने में नजरबंद कर दिया। अंग्रेज पुलिस की इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई को उस समय महात्मा गांधी के संपादन में छपने वाली अखबार यंग इंडिया में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था।


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