Bihar Tourism: मुंगेर की काली पहाड़ी का झरना बना सेल्फी प्वाइंट... सुकून का पल बिताने के लिए परिवार संग दूरदराज से पहुंचते हैं लोग
Bihar Tourism मुंगेर की काली पहाड़ी का झरना इन दिनों सेल्फी प्वाइंट बन गया है। यहां पर सुकून का पल गुजारने के लिए दूर दराज से लोग पहुंचते हैं। साथ ही यहां पर आसपास कई और ऐतिहासिक स्थल भी हैं।
संवाद सहयोगी, जमालपुर मुंगेर। Bihar Tourism: लौहनगरी के ऐतिहासिक काली पहाड़ी से गिरता झरना शहर वासियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। बड़ी संख्या में लोग झरना में स्नान करने पहुंच रहे हैं। झरना स्थल सेल्फी स्पॉट के रूप में मशहूर हो रहा है। युवा यहां पहुंच कर सेल्फी खींचा रहे हैं। ऐतिहासिक पहाड़ी से गिरने वाले झरना के बारे में बताया जाता है कि हर साल बरसात के मौसम में यह झरना 24 घंटा गिरते रहता है। जहां सुबह से शाम तक लोग झरना को देखने के लिए सैकड़ों की तादाद में काली पहाड़ी एवं वाटर फिल्टर वर्क पूछ रहे हैं।
काली पहाड़ी से गिरने वाले झरना की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। व्हाट््सएप एवं फेसबुक के जरिए लोगों को झरने के बारे में जैसे-जैसे पता चल रहा है, वैसे वैसे युवा झरना को देखने एवं पहुंच रहे हैं। इस कारण ऑटो और ई रिक्शा चालकों की आमदनी भी बढ़ गई है। ई रिक्शा चालकों ने बताया कि बरसात के दिनों में अमूमन ऑटो और ई रिक्शा चालकों की आमदनी कम हो जाती है। लेकिन, पहाड़ी झरना के कारण बड़ी संख्या में लोग दूसरे जगहों से भी जमालपुर पहुंच रहे हैं।
ऐसे लोग काली पहाड़ी तक जाने के लिए ऑटो और ई रिक्शा लेते हैं। इस कारण हमलोगों की आमदनी भी बढ़ गई है। इधर, पवन कुमार, विक्की कुमार, विकास कुमार, ङ्क्षसघम गुप्ता, सुभाष मंडल, आलोक कुमार सहित कई ने बताया कि बीते कई वर्ष से बरसात के समय पहाड़ी झरना जीवंत हो जाती है। किऊल, लखीसराय, सूर्यगढ़ा, खगडिय़ा, बेगूसराय, भागलपुर, अकबरनगर, सुल्तानगंज के अलावे आसपास से लोग यहां पहुंच रहे हैं। झरना के आसपास दुकानें भी सजने लगी है। युवाओं ने कहा कि जमालपुर पहाड़ी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर दिया जाए, तो स्थानीय स्तर पर रोजगार के निए अवसर पैदा होंगे।
काली पहाड़ पर महाभारत कालीन यमला काली का प्राचीन मंदिर तथा आनंद मार्ग के संस्थापक प्रभात रंजन सरकार उर्फ आनंदमूर्ति जी साधना स्थल इसी पहाड़ी के तराई में हैं। जहां आज भी देश विदेश से लोग हर साल आनंद मार्ग के संस्थापक के साधना स्थल पर पहुंचते हैं। बरहाल इस बार भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिलेगा, क्योंकि पहाड़ों से गिरने वाला झरना धीरे धीरे तेज होता जा रहा है। वहीं, लोगों की भीड़ भी धीरे धीरे बढ़ रही है।