बिहार की राजनीति: अपना खोया हुआ जनाधार वापस लाने में जुटा माकपा, कभी खगड़िया जिला था वाम आंदोलन का गढ़
बिहार की राजनीति में कभी माकपा का अच्छा वर्सच्व रहा। वाम आंदोलनों का गढ़ बिहार का खगड़िया जिला हुआ करता था। अब एक दफा फिर माकपा विभिन्न मुद्दों से अपना खोया हुआ जनाधार वापस लाने में जुट गया है।
जागरण संवाददाता, (खगड़िया): बिहार की राजनीति में खगड़िया कभी वाम आंदोलन का गढ़ रहा। भाकपा और माकपा के इर्द-गिर्द वाम आंदोलन की धुरी घूमती रही है। बीच में वाम दलों की शक्ति में ह्रास हुआ। जनाधार में क्षरण हुआ। अब वाम दल माकपा अपने खोए हुए जनाधार को पाने का प्रयास कर रही है। 1984 के लोकसभा चुनाव में माकपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे।
यहां बताते चलें कि माकपा कभी खगड़िया की राजनीति के केंद्र में हुआ करती थी। 1984 के लोकसभा चुनाव में माकपा से प्रसिद्ध ट्रेड यूनियन नेता योगेश्वर गोप चुनाव लड़े और द्वितीय स्थान पर रहे। उन्हें एक लाख 16 हजार वोट मिला था। 2000 ई में सदर विधान सभा से योगेंद्र सिंह ने चुनाव जीता। 2005 के विधान सभा चुनाव में योगेंद्र ङ्क्षसह को हार का सामना करना पड़ा। वे दूसरे स्थान पर रहे। मालूम हो कि 2005 में दो बार विस चुनाव हुआ। योगेंद्र ङ्क्षसह की हार के बाद पार्टी ने विधान सभा में गीता यादव को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उन्हें भी हार मिली। वे भी दूसरे स्थान पर रहे। हार का यह सिलसिला रूका नहीं।
पार्टी के सभी सात अंचलों का सम्मेलन हुआ संपन्न
खैर, माकपा अब नए सिरे से खड़ी हो रही है। जनवरी में पार्टी की सभी सात अंचल का सम्मेलन 23 जनवरी तक संपन्न हो गया। मानसी, बेलदौर, सदर, परबत्ता, गोगरी, चौथम और अलौली सम्मेलन में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बातों, बहस-मुबाहिसों के बाद यह सामने आया कि किसानों के मुद्दे को धार देना है। पार्टी के जिला सचिव संजय कुमार युवा हैं। पार्टी के अधिकांश नेतृत्वकारी युवा है। पूर्व में माकपा किसानों के मुद्दे को केंद्र में रखकर ही जनाधार को विस्तार देने में सफल रही थी। भूमि आंदोलन, बंटाईदारों का आंदोलन, भूमिहीनों को वासगीत का पर्चा दिलाने का आंदोलन चलाकर माकपा ने जनाधार का विस्तार किया।
कृषि और किसानों पर रहेगा फोकस
माकपा जिला सचिव संजय कुमार कहते हैं- पार्टी खेती-किसानी के मुद्दे को केंद्र में रखकर आंदोलन चलाएगी। खगडिय़ा में 50 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। लेकिन मक्का आधारित उद्योग नहीं रहने से किसानों को अपनी उपज की उचित कीमत नहीं मिलती है। वे बिचौलिये को मक्का बेचने को विवश हो जाते हैं। जबकि लागत खर्च दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। सबसे अधिक मक्का की खेती बेलदौर प्रखंड क्षेत्र में होती है। पर यहां एक भी राजकीय नलकूप नहीं है। नहर है, लेकिन किसी काम की नहीं। अगर बेलदौर प्रशाखा नहर को ठीक करा दिया जाए, तो किसानों को सस्ती सिंचाई की सुविधा मिल जाएगी और लागत खर्च में कमी आएगी।
संजय कुमार कहते हैं- सस्ती सिंचाई सुविधा को लेकर माकपा संघर्ष चलाएगी। साथ ही किसानों को उनकी फसल उत्पाद का वाजिब कीमत मिले, इसको लेकर भी आंदोलन किया जाएगा। अधिकांश पैक्स लूट का जरिया बनकर रह गया है। धान अधिप्राप्ति की जो जटिल प्रक्रिया है उससे अधिकांश किसान अपनी उपज को सस्ते दामों में बेच देते हैं। अधिप्राप्ति की प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है।
दूध की पशुपालकों को मिले वाजिब कीमत
माकपा पशुपालक किसानों को लेकर भी मजबूत आंदोलन का शंखनाद करने वाली है। माकपा नेता संजय कुमार ने कहा कि भागलपुर से अधिक दूध का उत्पादन खगड़िया में होता है। लेकिन यहां दूध आधारित कारखाना नहीं है। जिससे पशुपालकों को दूध की वाजिब कीमत नहीं मिलती है। माकपा इसको लेकर आंदोलन चलाएगी। मालूम हो कि खगड़िया में पशुपालकों की बड़ी तादाद है। जिन पर माकपा की नजर है।