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Bihar: पुलिसिया डंडे की चपेट में आ गए डीआईओ, फ‍िर तो खूब हुई कहासुनी, रौब ऐसा झाड़ा कि...

बिहार के जमुई में पुलिस ने लाठी भांजना उस समय काफी महंगा पड़ा जब उसने डीआईओ पर ही लाठी बरसा दी। देर तक सड़क पर चलता रहा हाई वोल्टेज ड्रामा। लिहाजा झाझा बस स्टैंड के समीप पुलिस प्रशासन की सक्रियता कुछ ज्यादा बढ़ गई थी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 09:18 AM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 09:18 AM (IST)
Bihar: पुलिसिया डंडे की चपेट में आ गए डीआईओ, फ‍िर तो खूब हुई कहासुनी, रौब ऐसा झाड़ा कि...
जमुई में पुलिस और डीआईओ में काफी विवाद हुआ था।

जागरण संवाददाता, जमुई। लॉकडाउन का अनुपालन कराने में पुलिसिया डंडे की चपेट में डीआईओ राकेश कुमार भी आ गए। डंडे से चोटिल राकेश कुमार तिलमिला उठे। इस दौरान झाझा बस स्टैंड के समीप काफी देर तक पुलिस और डीआईओ के बीच कहासुनी होती रही। मौके पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार मंडल के हस्तक्षेप के बाद मामले का पटाक्षेप हुआ। दरअसल सोमवार की सुबह तकरीबन 10 बजे शहर के टैक्सी स्टैंड स्थित सामुदायिक किचन में भोजन करने वालों से मुख्यमंत्री का संवाद स्थापित करने का कार्यक्रम निर्धारित था।

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उक्त कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जमुई के डीएम और एसपी को भी जुड़ना था। लिहाजा झाझा बस स्टैंड के समीप पुलिस प्रशासन की सक्रियता कुछ ज्यादा बढ़ गई थी। इस बीच जिला सूचना पदाधिकारी राकेश कुमार वहां पहुंच गए। वे सामुदायिक किचन स्थित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था को नियमित रखने के लिए जा रहे थे। इसी दौरान टैक्सी स्टैंड के समीप तैनात पुलिस के एक जवान ने बाइक सवार राकेश कुमार पर डंडा चला दिया। पुलिस के डंडे से चोटिल होते ही राकेश कुमार पूरी तरह से गुस्से में आ गए और वहां तैनात पुलिस के अधिकारियों से अधिकार और कर्तव्य को लेकर कहासुनी होने लगी।

डीआईओ ने यह भी पूछा कि लॉकडाउन के दौरान बगैर पूछे आने जाने वालों के ऊपर लाठी बरसाने की इजाजत किसने दी है। इसी बीच कार्यक्रम में शिरकत करने एसपी जा रहे थे। उनकी गाड़ी को रोक डीआईओ द्वारा पुलिसिया जुल्म की शिकायत की गई। इसके बाद एसपी ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाने के साथ-साथ पहचान पत्र लगाकर चलने की नसीहत भी दी। इसके बाद मामले का पटाक्षेप हुआ।

इधर मौके पर उपस्थित प्रत्यक्षदर्शियों ने भी पुलिस की उक्त कार्रवाई पर हैरानी जताते हुए कहा कि इस तरह से लाठियां भांजना इमरजेंसी और ब्रिटिश हुकूमत की याद दिला देती है। लोगों का कहना था कि डीआईओ तो सरकारी मुलाजिम हैं और सरकार के काम से ही ऑन ड्यूटी थे। आम लोगों के साथ ही पुलिस द्वारा ऐसी ही बदतमीजी की जाती है। सड़क पर निकलने वालों को कुछ पूछे बगैर लाठियां चटकाई जाती है।


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