सहरसा पंचायत मुखिया चुनाव: बिहार का एक पंचायत ऐसा जहां नहीं होता था चुनाव, ग्रामीण खुद बना देते थे मुखिया
सहरसा पंचायत मुखिया चुनाव सहरसा के पंचगछिया पंचायत में 55 वर्षों तक मुखिया पद के लिए चुनाव नहीं हुआ था। ग्रामीण आपस में बैठकर मुखिया पद के लिए निर्विरोध किसी एक के नाम का चयन करते थे। लेकिन अब
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। बिहार पंचायत चुनाव: आज मैं बात कर रहे बिहार के सहरसा जिला अंतर्गत पंचगछिया पंचायत की। एक समय था, यहां लगातार 55 वर्षों तक चुनाव नहीं होते थे। ग्रामीण बिना चुनाव के ही मुखिया चुन लेते थे। जिसमें सभी का सर्वसम्मति से योगदान रहता था। लेकिन यहां अब ऐसा नहीं होता है। वर्ष 2006 में निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा समाप्त हो गई।
सहरसा जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर है पंचगछिया पंचायत। यहां का अपना अलग ही इतिहास रहा है। कोसी क्षेत्र के इस पंचायत में पंचायती राज स्थापना काल से ही यह परंपरा चली आ रही थी। निर्विरोध निर्वाचित होने की लंबे समय तक जारी है। यहां सर्वसम्मति से मुखिया, सरपंच एवं वार्ड सदस्य का चयन होता था।
1952 से शुरू हुई थी परंपरा
90 वर्षीय विष्णुकांत झा उर्फ महादेव झा ने कहा कि 1952 में प्रथम बार पंचायत चुनाव में सम्मानित एवं बुजुर्ग लोगों ने यह मिशाल पेश किया था। निर्विरोध मुखिया का चयन कर एकता, सामाजिक समरसात एवं सामाजिकता पेश की। पहली बार रामशरण बाबू, ब्रम्हचारी जी, काली कांत ठाकुर सहित कई लोग आपस में बैठे। संभ्रांत ग्रामीणों ने आमसभा आयोजित की। जंगबहादुर सिंह को मुखिया व कुशेश्वर झा को सरपंच बनाने का निर्णय लिया गया। दोनों को सर्वसम्मति से निर्विरोध चुन लिया गया। फिर यही परंपरा चलती रही। ग्रामीणों ने शिवनंदन सिंह, ब्रम्ह नारायण सिंह एवं धीरेन्द्र नारायण सिंह आदि को भी सर्वसम्मति से मुखिया बना दिया।
2006 में आखिर क्या हो गया
80 वर्षीय रामजी सिंह ने कहा कि 2006 के वर्तमान परिवेश का असर हावी हो गया। वर्षों से चली आ रही परंपरा पर टूट गई। ग्रामीणों ने काफी प्रयास किए। निर्विरोध चुनाव की परंपरा कायम रही। हालांकि लोगों ने चुनाव में भी अपनी एकजुटता दिखायी। सर्वसम्मति से एक उम्मीदवार के पक्ष में ज्यादा वोट पड़ने लगे।
वैष्णवी मां भगवती स्थान
पंचगछिया स्थित वैष्णवी मां भगवती ग्रामीण देवता हैं। इनपर ग्रामीणों का अटूट विश्वास, श्रद्धा व आस्था है। इसी मंदिर परिसर में पंचायत चुनाव में ग्रामीण सभा आयोजित की जाती थी। वैष्णवी मां भगवती को लोग साक्षी मानकर निर्णय लेते थे। यहीं बैठकर लोग मुखिया, सरपंच आदि का चयन कर लेते थे। बाद में वही निर्विरोध निवार्चित होता था। मंदिर परिसर के फैसले का विरोध कोई नहीं करते थे।
गौरवशाली परंपरा
सहरसा का पंचगछिया पंचायत। पंचगछिया ड्योढ़ी भी कहा जाता है। संगीत घरानों के नाम से प्रसिद्ध है। यहां कई स्वतंत्रता सेनानियों कर जन्म हुआ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी यहां आए थे। ग्राम स्वराज को यहां सफल मना जाता था।