Bihar Panchayat Election 2021: मुखिया की कुर्सी के लिए देवरानी और जेठानी में कड़ा मुकाबला, खगडि़या में इस तरह हो रहा चुनाव प्रचार
पंचायत चुनाव की डुगडुगी बजते ही गांव में राजनीति गरमा गई है। सबसे अधिक कड़ा मुकाबला मुखिया की कुर्सी को लेकर हो रही है। खगडि़या में मुखिया की कुर्सी के लिए देवरानी और जेठानी मैदान में आमने सामने हैं।
जागरण संवाददाता, खगडिय़ा। पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। गांव-गांव, गली-गली में चौपाल लग रहा है। चौपाल के केंद्र बिंदु में Óमुखिया जीÓ हैं। मुखिया के पद के रंग के आगे और पदों का रंग फीका है। इस पंचायत चुनाव में एक से बढ़कर एक दृृश्य सामने हैं।कहीं मुखिया पद को लेकर जेठानी-देवरानी आमने सामने हैं, तो कहीं चाचा-भतीजा।
परबत्ता प्रखंड की एक बहुचर्चित पंचायत में जेठानी-देवरानी आमने-सामने हैं। जेठानी कभी मुखिया का पद सुशोभित कर चुकी हैं और इस चुनाव में भी भाग्य आजमा रही हैं। यह बात देवरानी को हजम नहीं हुई। देवरानी का कहना था कि एक मौका तो उन्हें भी मिलना चाहिए। देवरानी ने अपने पतिदेव को समझाया-बुझाया और जेठानी से दो-दो हाथ करने उतर गई हैं। देवरानी-जेठानी के इस संग्राम से निवर्तमान मुखिया की बल्ले-बल्ले हैं।
सुनते हैं, उन्होंने बजरंगबली को सवा मन लड्डू कबुला है, कि, मतदान तक जेठानी-देवरानी का संग्राम जारी रहे। खैर, चुनाव परिणाम जो हो, लेकिन पंचायत के कई लोगों के मन में अभी से लड्डू फूट रहे हैं। नाश्ता देवरानी के यहां करते हैं, तो डिनर जेठानी के यहां लेते हैं।
चुनावी चर्चा में डूबा सियादतपुर-अगुवानी पंचायत
संवाद सूत्र, परबत्ता (खगडिय़ा): सियादतपुर अगुवानी पंचायत जिले की महत्वपूर्ण पंचायतों में है। गंगा नदी किनारे अवस्थित यह पंचायत ऐतिहासिक पंचायतों में शुमार है। यहां लगभग 10 हजार के आसपास मतदाता हैं। कुल 19 वार्ड हैं। दो पंचायत समिति क्षेत्र है। पंचायत में डुमरिया बुजुर्ग, अगुवानी, बबराहा, खनुआ राका आदि गांव शामिल हैं। परबत्ता के प्रथम विधायक स्मृतिशेष त्रिवेणी कुमर इस पंचायत के ही निवासी थे। खगडिय़ा जिला के प्रथम जिप अध्यक्ष स्मृतिशेष सत्यदेव मिश्रा हजारी भी इस पंचायत के ही रहने वाले थे। वर्ष 2001 में डुमरिया गांव के प्रमोद हजारी मुखिया निर्वाचित हुए। वर्ष 2006 में रीना देवी मुखिया बनीं। वर्ष 2011 में अंजु कुमारी मुखिया बनीं। वर्ष 2016 में ङ्क्षपटू कुमार मुखिया पद पर निर्वाचित हुए। वर्ष 2016 में पंचायत की मुखिया पद अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया। इस बार चुनाव में पिछले चुनाव का ही आरक्षण लागू है। इस चुनाव में मुखिया पद को लेकर सात प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं।