बिहार: पक्षियों के लिए गार्जियन ट्री बना सहारा, दाना से लेकर पानी तक की व्यवस्था, युवाओं की टोली ने की अनूठी पहल
बिहार में तापमान इन दिनों 40 के पार है। ज्यादातर तालाब और नहर सूख गए हैं। ऐसे में पक्षियों को लिए दाना-पानी के लिए इधर-उधर भटकना ना पड़े इसके लिए जमुई में युवाओं की टोली ने अनूठी पहल की है।
विभूति भूषण, जमुई। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पक्षियों के जीवन सुरक्षा के लिए जिले में साइकिल यात्रा एक विचार मंच और ग्रीनपीस इंडिया के सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से पहल प्रारंभ कर दी गई है। इनके द्वारा गर्मी के मौसम में पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था कराई जा रही है। पूरे जिले में प्रथम चरण में 50 से 60 साल से ऊपर के दो हजार पेड़ को गार्जियन ट्री के रूप में चिन्हित कर उसमें दाना पानी के लिए मिट्टी का पात्र लगाने की योजना है।
अब तक जमुई नगर क्षेत्र केे अलग-अलग मुहल्लों के अलावा सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित दो सौ से अधिक पेड़ों पर इसे लगाया जा चुका है। प्रत्येक दिन इसमें पानी डालने और भोजन रखने की जिम्मेवारी क्षेत्र विशेष के स्थानीय जिम्मेवार लोगों को दी गई है। इसके अलावा कार्यालयों व सार्वजनिक संस्थानों के आसपास पेड़ों पर पानी और भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इसकी जिम्मेवारी वहां के कर्मियों को भी दी गई है।
साइकिल यात्रा एक विचार मंच के संस्थापक सदस्य विवेक कुमार, अजीत कुमार और आकाश कुमार ने बताया कि हम लोग विगत आठ वर्षों से जिले में पर्यावरण संरक्षण को लेकर पौधारोपण कर रहे हैं। इस दौरान हमलोगों ने गर्मी के मौसम में पक्षियों को पानी के लिए इधर-उधर भटकते देखा तो हमें यह महसूस हुआ कि उनके लिए दाना पानी की व्यवस्था की जाए। क्योंकि पक्षी पर्यावरण मित्र की तरह कार्य करते हैं।
उसके पश्चात हमलोगों ने जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली ग्रीनपीस इंडिया के साथ मिलकर इस कार्य को अंजाम देना शुरू किया और अब धीरे-धीरे हमारी मुहिम जिले में रंग लाने लगी है। ग्रीनपीस इंडिया के संतोष कुमार सुमन ने बताया कि पूरे जिले में साइकिल यात्रा विचार मंच और हमारे संगठन द्वारा संयुक्त रूप से यह अभियान चलाया जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण समिति करेगी देखरेख
इस पूरी व्यवस्था की निगरानी पर्यावरण संरक्षण समिति द्वारा की जा रही है। इस समिति में विचार मंच के सदस्यों और स्थानीय जिम्मेवार लोगों को शामिल किया गया है। जिस क्षेत्र में पेड़ को चिन्हित किया गया है, वहां स्थानीय लोग नजर रखेंगे कि पात्र में पानी और भोजन है की नहीं। जिन लोगों ने वृक्ष का आनरशिप लिया है, अगर वह दाना पानी नहीं डालेंगे तो वहां पर समिति के सदस्य यह कार्य करेंगे।
पर्यावरण संरक्षण समिति सदस्य शैलेश भारद्वाज ने बताया कि गर्मी के मौसम में पानी और भोजन नहीं मिलने से पक्षियों को परेशानी होती है। गांव के पांच पेड़ों पर पात्र लगाकर नियमित दाना पानी डालने की व्यवस्था की है। समिति सदस्य राजेश कुमार सिंह ने बताया कि गांव के आठ से दस गार्जियन ट्री पर प्रत्येक दिन पक्षियों के लिए मिट्टी के बर्तन में दिन में दो बार यानी सुबह और दिन में भोजन के रूप में चावल व अन्य खाद्य पदार्थ और पानी भरने की व्यवस्था करते हैं।
अप्रैल 2022 में शुरू हुई योजना
भीषण गर्मी के दौरान अप्रैल 2022 में 50 से 60 साल से अधिक पुराने पेड़ों को गार्जियन ट्री के रूप में चिन्हित कर इसकी शुरुआत विचार मंच के सदस्यों द्वारा की गई। इसके बाद क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों के साथ बैठक कर इस अभियान को मूर्त रूप देने का कदम उठाया गया। इस अभियान को और अधिक व्यापक रूप देने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग लेकर गार्जियन ट्री के नाम से बहुत जल्द ही एक एप्प बनाया जाएगा जिसमें चिन्हित पेड़ की प्रजाति, उसकी तस्वीर, लोकेशन, अनुमानित उम्र और आनरशिप लेने वाले का नाम भी दर्ज किया जाएगा। क्षेत्र के बुजुर्गों से बात कर पेड़ की उम्र का आकलन किया जाता है।