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बिहार मेयर चुनाव: 252 साल का इतिहास, पूर्णिया शहर पहली बार चुनेगा अपना रियल हीरो, जानें कौन अंग्रेज था पहला नगर पालिका अध्यक्ष

बिहार मेयर चुनाव - पूर्णिया जिले का इतिहास 252 साल पुराना हो चला है। ये पहली दफा होगा कि जिले के शहरवासी अपना हीरो चुन सकेंगे। इसके स्वर्णिम इतिहास की पटकथा अंग्रेजी हुकूमत द्वारा लिखी गई थी। पहला कलेक्टर और पहला नगर पालिका अध्यक्ष अंग्रेज ही थे।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 10:20 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 10:30 AM (IST)
बिहार मेयर चुनाव: 252 साल का इतिहास, पूर्णिया शहर पहली बार चुनेगा अपना रियल हीरो, जानें कौन अंग्रेज था पहला नगर पालिका अध्यक्ष
जानें पूर्णिया शहर का इतिहास, कौन था इसका पहला कलेक्टर...

प्रकाश वत्स, जागरण संवाददाता, पूर्णिया: 252 साल के लंबे सफर के बाद पूर्णिया में पहली बार मेयर चुनाव होगा। जिले के शहरवासी पहली बार अपना रियल हीरो चुनेंगे। मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव में पहली बार जनता की सीधी भागीदारी होगी और मतदान से शहर का ताज किसी के सिर सजेगा। इसको लेकर लोगों की उत्सुकता भी चरम पर है। यद्यपि अभी चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन सरकार के इस निर्णय ने शहर की सियासी संजीदगी को पहली बार चरम पर पहुंचा दिया है।

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  • 1770 में पूर्णिया बना था जिला
  • 1864 में नगरपालिका का हुआ था गठन

सूबे के कुछेक प्राचीन जिलों में शुमार पूर्णिया को बिट्रिश शासन में सन 1770 में जिला घोषित किया गया था। जीजी डुकटेल इसके प्रथम कलेक्टर बने थे। जिला बनने के लगभग सौ वर्ष बाद सन 1864 में पूर्णिया नगरपालिका अस्तित्व में आया था। इसके पहले अध्यक्ष जान विम्स बने थे। सन 2001 तक यह नगरपालिका के रुप में ही कार्यरत रहा। 2002 में इसे नगर परिषद का दर्जा मिला और फिर 2002 में इसे नगर निगम घोषित किया गया। पूर्व में जहां अध्यक्ष मनोनीत होते रहे बाद में चयनित वार्ड प्रतिनिधि द्वारा नगर प्रमुख व उप प्रमुख के चयन की व्यवस्था कार्यरत रही। पहली बार सन 2022 में सरकार ने नगर निकाय प्रमुख का सीधा चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है।

शहरी विकास को नई रफ्तार मिलने की बढ़ी है उम्मीद

मेयर व डिप्टी मेयर के सीधे चुनाव की घोषणा से आम लोगों में भी काफी उम्मीद बढ़ी है। कुल 46 वार्डों का बन चुका यह शहर पूर्व में प्रतिनिधियों के जरिए होने वाले नगर प्रमुख व उप प्रमुख के चुनाव का स्याह पक्ष लोग महसूस करते रहे हैं। बाहुबल व धनबल के सहारे ताज हथियाने की जद्दोजहद के बीच शहर का विकास हाशिए पर पहुंचता चला गया। लोगों की उम्मीदों पर पानी फिरने लगा।

इस ताज के खुले व्यवसायीकरण ने योजनाओं में लूट की रफ्तार भी बढ़ा दी। टैक्स चुकाने वाले लोग नगरीय सुविधा के मामले में खुद को ठगा-ठगा महसूस करने लगे। इस स्थिति में सरकार की इस घोषणा से लोगों में भी खुशी की लहर है। लोगों को लग रहा है कि सीधे चुनाव से आने वाले मेयर व डिप्टी मेयर ज्यादा स्वच्छंद व निस्वार्थ होकर शहर के विकास में दिलचस्पी लेंगे और शहर के विकास को नई रफ्तार मिलेगी।

खासकर योजनाओं में खुली लूट पर ब्रेक लगेगा और शहर का चेहरा और सुंदर बनेगा। यह स्थिति इसलिए भी है कि बोर्ड भंग होने के छह माह बाद ही लोगों ने बहुत फर्क महसूस किया है। शहर में कोढ़ बनी कई समस्याएं बहुत हद तक दूर हुई है। साफ-सफाई व्यवस्था भी पहली बार पटरी पर आती दिख रही है।


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