बिहार मांगे शिक्षक: अभ्यर्थियों ने फिर एक दफा उठाई आनलाइन आवाज, जवाब मिला- मांगें Education
बिहार मांगे शिक्षक हैश टैग के साथ इंटरनेट मीडिया पर एक दफा फिर बिहार के हजारों शिक्षक अभ्यर्थियों ने अपनी आवाज उठाई। ससमय नियोजन को लेकर किए गए ट्वीट का विभाग की ओर से जवाब भी मिला कि हम इस दिशा में अग्रसर हैं प्रयास किया जा रहा है...
आनलाइन डेस्क, (प्रेस विज्ञप्ति), भागलपुर। 10 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से हैश टैग 'बिहार मांगे शिक्षक' का उपयोग करते हुए इंटरनेट मीडिया पर हजारों पोस्ट की गई। ट्विटर पर बिहार के सभी 38 जिलों में शिक्षक-शिक्षा की वर्तमान दयनीय स्थिति, आंकड़े तथा यूनेस्को के द्वारा जारी रिपोर्ट के साथ ट्वीटर पर ट्वीट किया जा रहा था । जिस पर बिहार शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने जवाब देते हुए कहा की विभाग इससे अवगत है और इसके लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, 'बिहार मांगे शिक्षा' मुख्य प्रस्ताव का परिणाम है।
हैश टैग के साथ देश के अनेक वर्ग के लोगो ने अपनी राय रखी। कई लोगों की मांग थी कि शिक्षकों की नियुक्ति को तत्काल पूरा किया जाए। बिहार सरकार का ससमय शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर देती तो शायद ऐसा न होता। शिक्षक अभ्यर्थियों ने ट्वीटर पर ट्वीट कर शिक्षा विभाग से नियुक्ति पत्र और तीसरे चरण के काउंसलिंग शेडयूल जल्द जारी करने की मांग रखी। प्रारंभिक शिक्षक अभ्यर्थी संघ के सौरभ ने कहा कि शिक्षा विभाग ने कहा था की 94 हजार शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पहले से चली आ रही है, इसपर चुनाव का असर नहीं होगा तो फिर चुनाव के वजह से सारी प्रक्रिया रोक क्यों दी गयी है।
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विभाग चयनित शिक्षक अभियर्थियों को जल्द से जल्द नियुक्ति पत्र देकर विद्यालय भेजे क्योंकि बिहार के विद्यालयों में शिक्षकों के सवा तीन लाख पद रिक्त है और तीसरे चरण के काउंसलिंग का शेडयूल जल्द से जल्द जारी करके बचे हुए सभी नियोजन इकाई से कॉउंसलिंग करावें। ज्ञात हो कि 2015 में ही अंतिम शिक्षकों की बहाली हुई है। हाल ही में 05 अक्टूबर 2021 को यूनेस्को द्वारा शिक्षक नहीं, कक्षा नहीं नाम से 166 पेज की एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें बिहार के 3700 विद्यालयों के बारे में कहा गया है जिसमें एक शिक्षक है।
एक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा, बिहार के शिक्षक विभाग को ये नियुक्ति प्रक्रिया चुनाव आयोग को सौंप देनी चाहिए। इतने दिन में तो आयोग ने न जाने कितने चुनाव संपन्न करा दिए, फिर ये क्या चीज है।
बिहार में 2,22,316 शिक्षकों के पद रिक्त है। बिहार के 56% विद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त है जिसमें 89% पद ग्रामीण क्षेत्रों में रिक्त है। पूरे भारत में बिहार की शिक्षा व्यवस्था की सबसे अधिक दयनीय स्थिति है,फिर भी सरकार शिक्षकों की बहाली नही करना चाह रही है। किसी न किसी कारण से प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली को बिहार सरकार अटका कर आगे ले जाना चाहती है और इसे चुनावी मुद्दा के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है।